सिद्धार्थनगर। माधव प्रसाद त्रिपाठी मेडिकल कॉलेज के अस्पताल में दलाल बेखौफ होकर मरीजों को ठगने का धंधा कर रहे हैं। वे ओपीडी से बाहर निकलते ही मरीजों को बातचीत में उलझा कर गुमराह करते हैं और अपनी बाइक पर बैठाकर कमीशन वाली दवा खरीदवाने ले जाते हैं। वहीं ओपीडी में पैनी नजर रखने वाले दलाल मरीजों को भ्रमित करके अस्पताल की चहारदीवारी तक ले जाते हैं, जहां अंदर खड़े मरीजों और उनके परिजनों को बाहर के मेडिकल स्टोर से दवा खरीदवाई जाती है। ये खेल खुलेआम चल रहा है, लेकिन मेडिकल कॉलेज प्रशासन इस पर अंकुश नहीं लगा पा रहा है।
मेडिकल कॉलेज की ओपीडी में कई बार दलाल पकड़े जा चुके हैं, लेकिन मरीजों के शोषण को रोकने में प्रशासन भी असफल साबित हो रहा है। ओपीडी में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। ये कैमरे एनएमसी की ओर से लगाए गए हैं, जिसमें एनएमसी ऑफिस से ऑनलाइन निगरानी होती है, लेकिन रिकॉर्डिंग नहीं होती है। रिकॉर्डिंग के लिए एक हार्ड डिस्क लगाने की आवश्यकता है, जो नहीं हो सका है। डॉक्टरों की ओपीडी में गैर विभागीय लोगों को नियमित रूप से बैठने और दलाली करने पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। मेडिकल कॉलेज में बृहस्पतिवार को 830 मरीजों ने पंजीयन कराया, करीब 400 मरीज ऐसे थे, जिन्होंने पुराने पर्चे पर इलाज कराया। इन्हीं मरीजों में कुछ लोगों को दलाल गुमराह करते हैं।
दोपहर 12.10 बजे : कोड़रा ग्रांट से आई बसंती ने ओपीडी में डॉक्टर से परामर्श लिया और डॉक्टर ने छोटी पर्ची पर बाहर की दवा लिख दी। जैसे ही बसंती ओपीडी से बाहर निकलीं तो दलाल ने उनसे बातचीत शुरू कर दी और उन्हें सस्ती दवा दिलाने की बात करते हुए बाउंड्री के पास ले गया। रिपोर्टर ने महिला से बात की तो उन्होंने बताया कि दलाल ने गुमराह कर दिया, जो दवा सरकारी स्टोर में मिलनी थी, उसे भी खरीदवा दिया।
दोपहर 12.30 बजे : नेपाल के तौलिहवा से आए सूर्यबली त्वचा रोग की ओपीडी से बाहर निकले तो उनके हाथ में बाहर की दवा की छोटी पर्ची भी थी। दलाल ने गुमराह किया और उन्हें अपनी बाइक पर बैठाकर निजी मेडिकल स्टोर ले गया। फिर वापस उसी स्थान पर पहुंचा दिया, मरीज ने डॉक्टर को दवा दिखाई तो दवा कुछ अलग थी तो उन्हें लेकर वापस जा रहा था। उसी वक्त रिपोर्टर ने दलाल को रोककर मरीज से बातचीत करने की कोशिश की तो वह भाग खड़ा हुआ
दोपहर 12:35 बजे। सजरून नाम की महिला ओपीडी से बाहर निकलीं तो दलाल ने उन्हें रोका, लेकिन उन्होंने जागरूकता का परिचय देते हुए कहा कि मैं दवा खरीद लूंगी। तुम्हारी मदद की जरूरत नहीं है। रिपोर्टर ने मरीज से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने बताया कि आप मीडिया वाले हैं, लेकिन कुछ पूछिए मत। मुझे फिर यहीं आना है, डॉक्टर पहचान लेंगे तो इलाज नहीं करेंगे।
करीब डेढ़ साल पहले संयुक्त जिला अस्पताल की तत्कालीन सीएमएस डॉ. नीना वर्मा ने मेडिकल स्टोर के पास दीवार के किनारे डाली गई मिट्टी को जेसीबी से हटवा दिया था, लेकिन कुछ समय बीता तो दवा के दलालों ने फिर वहां अड्डा बना लिया।
इमरजेंसी वार्ड में दवा देते हुए मेडिकल कॉलेज के तत्कालीन प्राचार्य डॉ. सलिल श्रीवास्तव ने एक दलाल को पकड़ा था। सदर पुलिस को बुला लिया और सौंप दिया था। पुलिस पकड़कर ले गई थी और लेकिन किसी ने तहरीर नहीं दी और आरोपित को ससम्मान छोड़ दिया गया।
बीते वर्ष एक दलाल ने डुमरियागंज क्षेत्र के मरीज को झांसा में ले लिया। खुद को स्वास्थ्यकर्मी बताकर तीन हजार रुपये ले लिया। दोबारा रुपये लेने पहुंचा था, तभी मरीजों के परिजन ने दबोच लिया। कुछ लोगों ने पिटाई की और फिर पुलिस को सौंप दिया। बाद में पता चला कि वह एक मेडिकल स्टोर पर कार्य करता है।
– डॉ. एके झा, प्रभारी प्राचार्य