भनवापुर (सिद्धार्थनगर)। क्षेत्र में स्वास्थ्य ही नहीं, बल्कि परिवहन सुविधाओं का भी अभाव है। यहीं कारण है कि कटरिया बाबू गांव निवासी शत्रुघ्न ने 26 वर्षीय पत्नी मनीषा की जांच स्थानीय निजी अस्पताल के अल्ट्रासाउंड सेंटर में कराया था। अल्ट्रासाउंड सेंटर में जांच शुल्क 600 थी, जबकि माधव प्रसाद त्रिपाठी मेडिकल कॉलेज से संबद्ध संयुक्त जिला अस्पताल में वाहन बुक करके जाने-आने में 1800 रुपये देने पड़ते। जन्म के बाद आंत शरीर से बाहर होने के चलते बच्चे का सही समय पर उचित इलाज नहीं हो पाया, जिससे उसकी मौत हो गई।
भवनापुर पीएचसी में शुक्रवार को हुए प्रसव में नवजात की आंत, शरीर से बाहर थी। डॉक्टरों के अनुसार, इस तरह के केस में 24 घंटे के अंदर सर्जरी होनी चाहिए, जबकि अल्ट्रासाउंड जांच में गर्भाशय में ही ऐसी विकृति पता चलनी चाहिए। नवजात की मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग ने इलाज में हुई लापरवाही की जांच शुरू की है। मृत नवजात के पिता शत्रुघ्न ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान उन्होंने अपनी पत्नी की नियमित जांच और टीकाकरण कराया था। सीएचसी इटवा व सिरसिया में अल्ट्रासाउंड की सुविधा नहीं है।
जिला अस्पताल करीब 70 किमी दूर होने और एंबुलेंस की सुविधा नहीं मिलने से निजी वाहन बुक करनी पड़ती है। उसके लिए 17-18 सौ रुपये वाहन वाले को देने पड़ जाते हैं। शत्रुघ्न ने बताया कि इन सब वजहों से मन्नीजोत चौराहे स्थित निजी अस्पताल में सात नवंबर को अल्ट्रासाउंड जांच कराई थी। वहां बताया गया कि प्रसव में एक माह का समय है। बच्चा पूरी तरह स्वस्थ होने की बात कहीं गई थी, लेकिन महिला को बताए गए समय से पंद्रह दिन पहले ही प्रसव हो गया। अब उसे पछतावा है कि सरकारी अस्पताल में जांच कराई होती तो शायद ऐसी नौबत न आती।

Siddharthnagar News: इलाज के अभाव में गई बच्चे की जान
यह है मामला
भनवापुर ब्लॉक क्षेत्र के कटरिया बाबू गांव निवासी शत्रुघ्न की 26 वर्षीय पत्नी मनीषा ने शुक्रवार को पीएचसी भनवापुर में बच्चे को जन्म दिया। नवजात की आंत बाहर थी, जिसे जिला अस्पताल से मेडिकल कॉलेज गोरखपुर के लिए रेफर किया गया, मगर परिजन रकम का इंतजाम करने के लिए शुक्रवार की देर शाम घर चले आए। शनिवार की सुबह रकम का इंतजाम कर नवजात को मेडिकल कॉलेज ले जाने की तैयारी में थे, तभी उसकी मौत हो गई।
गर्भाशय में पता चलनी चाहिए विकृति
संयुक्त जिला अस्पताल के रेडियोलॉजिस्ट डॉ. राजीव रंजन ने बताया कि अल्ट्रासाउंड जांच में गर्भाशय में पल रहे बच्चे के शरीर में विकृति की जानकारी हो जानी चाहिए। यह रेडियोलॉजिस्ट और मशीन की रेज्यूलेशन पर भी निर्भर करता है। कभी-कभी स्थिति स्पष्ट और अधिक स्पष्ट करने के लिए लेवल-2 अल्ट्रासाउंड जांच या सिटी स्कैन के लिए रेफर किया जाता है। बच्चे के शरीर से आंत बाहर होना सुपर स्पेशलिटी केस है। ऐसे केस में गर्भाशय में फीटल सर्जरी की आवश्यकता पड़ती है।
जन्म के बाद नवजात की आंत शरीर से बाहर होने के मामले में जांच की जाएगी। उसकी जांच जिन सेंटरों में हुई, उनकी भी जानकारी ली जाएगी। गंभीर मरीजों को रेफर होने पर एंबुलेंस की सुविधा दी जाती है।
– डॉ. बीके अग्रवाल, सीएमओ