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Courtroom rejects bail plea of PDP chief Waheed Parra saying preliminary evaluation of proof exhibits he was aiding militancy in Jammu and Kashmir
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Courtroom rejects bail plea of PDP chief Waheed Parra saying preliminary evaluation of proof exhibits he was aiding militancy in Jammu and Kashmir

February 23, 2021


जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती पीडीपी के जिस युवा नेता वहीद पारा का खुलकर बचाव करती रहीं हैं, उसे अदालत ने यह कहते हुए जमानत देने से इनकार कर दिया है कि शुरुआती साक्ष्य से संकेत मिलते हैं कि वह जम्मू कश्मीर में आतंकवाद में मदद कर रहा था। वह पिछले दिनों जम्मू-कश्मीर में हुए जिला विकास परिषद चुनाव में गुपकार गठबंधन के उम्मीदवार के रूप में जीतने में सफल रहा था।

विशेष अदालत ने वहीद पारा की जमानत याचिका खारिज करते हुए मंगलवार को कहा कि उनके खिलाफ आरोप ‘गंभीर और जघन्य प्रकृति’ के हैं और अब तक एकत्र किए गए सबूतों के शुरुआती विश्लेषण से पता चलता है कि वह एक राजनीतिक नेता के तौर पर जम्मू कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा था।

अपने 19 पन्नों के आदेश में विशेष अदालत ने उस दलील को खारिज कर दिया कि पारा एक उभरते हुए नेता हैं और कहा ”सीडी फाइल को देखने से यह पता चलता है कि एक राजनेता के बहाने याचिकाकर्ता आतंकवादियों की वित्तीय मदद में सक्रिय भूमिका निभा रहा था और अपने पद का फायदा उठाकर भुगतान के बदले हथियार और गोलाबारूद की मांग भी कर रहा था।”

अदालत ने कहा कि बैंक खातों में भारी लेन-देन हुआ है और मामले की जांच अभी की जा रही है और समय बीतने और जांच पूरी होने पर तथ्य सामने आएंगे। राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) अदालत द्वारा नौ जनवरी को छोड़े जाने के बाद पारा को अपराध अन्वेषण विभाग (कश्मीर) ने हिरासत में लिया था और उसे ट्रांजिट हिरासत में जम्मू से लाया गया था। एनआईए ने आतंकवाद से जुड़े एक अलग मामले में पारा को 25 नवंबर को गिरफ्तार किया था।

पारा के वकील ने दावा किया कि उसके मुवक्किल ने एनआईए की हिरासत में रहते हुए जिला विकास परिषद का चुनाव जीता था। जांच एजेंसी का आरोप है कि पारा ने दक्षिण कश्मीर में 2019 के संसदीय चुनावों के ”प्रबंधन” के लिए प्रतिबंधित हिजबुल मुजाहिद्दीन के एक आतंकवादी नवीद बाबू को 10 लाख रुपए दिए थे। 

न्यायाधीश ने इस दलील को खारिज करते हुए कहा कि पारा के ”जीतने को कोई तवज्जो नहीं दी जा सकती क्योंकि इसका मतलब यह है कि याचिकाकर्ता बेहद प्रभावशाली व्यक्ति है और साक्ष्यों से छेड़छाड़ कर सकता है और कोई गवाह उसके खिलाफ गवाही नहीं देगा।”



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