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Siddharthnagar News: बंद जुबां, आंख से निकले आंसू बयां कर रहे पिता के दर्द

सिद्धार्थनगर। चिल्हिया क्षेत्र की रहने वाली दरिंदगी की शिकार बेटी गोरखपुर मेडिकल कॉलेज के आईसीयू में जिंदगी के लिए जंग लड़ रही है। 48 घंटे बाद भी वह बेहोश पड़ी है। अपनों से मिले जख्म के कारण पीड़िता के पिता के मुंह से एक भी अल्फाज नहीं निकल रहा है। बेटी को देखकर उसके आंसू रुक नहीं रहे हैं। दामाद की ओर से दिए गए जख्म पिता के आंसू बयां कर रहे हैं। घटना की जानकारी मिलने के बाद मुंबई में रहने वाले पीड़िता के दो भाई गोरखपुर पहुंचने वाले हैं। बहू के साथ पीड़ित बेटी के इलाज में पिता जुटा हुआ है और ईश्वर से दुआ कर रहा है कि बेटी उठकर उसे अबू बोल दे। गांव में बहन भी पति के कृत्य से शर्मिदा है, उसका कहना है कि पति ने ऐसा कर दिया, जिससे न तो मायके में सिर उठाने लायक बची न ससुराल में। कैसे चेहरा दिखाएंगें, यह गम हमें खाए जा रहा है।

चिल्हिया थाना क्षेत्र के एक गांव तीन दिन पहले एक युवती से उसके जीजा ने गांव के ही एक युवक के साथ मिलकर न सिफज् दरिंदगी की, बल्कि अपनी करतूत छिपाने के लिए जाने से मारने की नियत से बेहरमी से पीट दिया। मरा हुआ मानकर उसे गांव के बाहर बाग में छोड़ दिया था। मामले की जांच हुई पुलिस ने आरोपी जीजा और उसके सहयोगी को जेल भेज दिया है। लेकिन गोरखपुर मेडिकल कॉलेज के आईसीयू में भर्ती बेटी की हालत अभी नाजुक है।

मेडिकल कॉलेज में बेटी के साथ मौजूद वृद्ध हो चुके पिता की बूढ़ी आंखों से आंसू के अलावा मुंह से अल्फाज नहीं निकल रहा था, वह किसी को बोलते समय रो पड़ रहे हैं। कारण बिटिया को जो जख्म मिला है किसी गैर ने नहीं, बल्कि जिसे बेटे की तरह से मानते थे, उस दामाद से मिला है। वहीं पीड़िता के गांव में घटना के बाद हर तरफ गम का माहौल है। आरोपी की पत्नी और पीड़िता की बहन मायके में मौजूद है। उसका कहना था कि पति जब घर से निकला तो बोला की दावत में जा रहे हैं। लेकिन हमें क्या पता वह ऐसा कर देगा। उसकी इस करतूत से न तो ससुराल में सिर उठाने लायक बची और न ही मायके में। धब्बा देकर जेल चला गया, अब चार बच्चों की कैसे परवरिश करेंगे। बच्चों को भी हमेशा ताना सहना पड़ेगा। इसकी करतूत ने हमेशा के लिए हमारा सिर झुका दिया।

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