– मेडिकल कॉलेज के शिशु रोग विभाग की ओपीडी में संसाधनों का अभाव
– बच्चों के वजन के अनुसार तय की जाती है दवा की खुराक, अनुमान से लिख रहे दवा
संवाद न्यूज एजेंसी
सिद्धार्थनगर। माधव प्रसाद त्रिपाठी मेडिकल कॉलेज के बाल एवं शिशु रोग की ओपीडी में बच्चों का वजन जानने और लंबाई मापने की मशीन नहीं है। डॉक्टर अनुमान से ही बच्चों को दवा की खुराक तय कर रहे हैं।
अस्पताल प्रशासन के अनुसार स्टोर में ये मशीन उपलब्ध है, लेकिन ओपीडी में इन संसाधनों के बिना इलाज किया जा रहा है। मेडिकल कॉलेज में हर दिन एक हजार से अधिक मरीज इलाज कराने पहुंचते हैं। इसमें 250-300 तक बच्चे शामिल हैं।
सोमवार को ओपीडी की पड़ताल में बालरोग विशेषज्ञ चिकित्सक के कमरे में भीड़ दिखी। 11:20 बजे तक एक कक्ष में डॉक्टर 34 बच्चों को देख चुके थे। सभी बच्चे, सर्दी, जुकाम, बुखार और नियोमिया के शिकार थे। कमरे में वजन और लंबाई मापने की सुविधा नहीं थी। डॉक्टर अनुमान से दवा लिख रहे थे।
15 माह तक के बच्चों को वजन करने की मशीन खराब मिली। जमीन पर रखकर 14 वर्ष तक किशोर के वजन मापने के लिए मशीन नहीं थी। लंबाई मापने की कोई व्यवस्था नहीं थी।
11:30 बजे दूसरे कक्ष में चिकित्सक 18 बच्चों को देख चुके थे। इनके पास छोटे और 14 साल के बच्चों का वजन मापने का मशीन थी, लेकिन लंबाई मापने की कोई व्यवस्था नहीं थी।
बच्चों की दवा के लिए वजन जरूरी
बच्चों के दवा का डोज वजन और लंबाई के हिसाब से दिया जाता है। अगर किसी बच्चे का विकास नहीं हो रहा है तो समझिए वह कुपोषण का शिकार है, लेकिन इसकी सही जानकारी के लिए वजन और लंबाई और सही उम्र की जानकारी होना जरूरी है। जिससे यह स्पष्ट हो सके कि बच्चा कुपोषित है। इसके लिए वजन और लंबाई मापने की सुविधा हर हाल में चिकित्सक के पास होना चाहिए।
वजन और लंबाई मापने के संसाधनों की कमी नहीं है। ओपीडी में मशीन खराब होने के कारण डॉक्टर ने नहीं मांगा होगा तो यह समस्या आई होगी। मंगलवार से व्यवस्था में सुधार हो जाएगा।
– डॉ. एके झा, प्रभारी प्राचार्य