सिद्धार्थनगर। वीरान खेतों में पककर तैयार गेहूं की फसल में आग से आफत आ रही है तो नहरों में पानी के अकाल से बुझाने में चुनौती आ रही है। बिजली की चिंगारी से आग लग रही है और अग्निशमन विभाग पूरी तरह मददगार नहीं साबित हो पा रहा है। ऐसी स्थिति में नहरों में पानी नहीं होने से ग्रामीणों के सामने बड़ी चुनौती आ रही है।
ग्रामीणों का कहना है कि नहरों में पानी होता तो अग लगने पर जल्द ही बुझाने में कामयाबी मिल जाती है। जिले के खेतों में नहरों का जाल है, लेकिन सभी जलस्रोत सूखे हुए हैं। डेनेज खंड, राप्ती नहर खंड और सरयू नहर खंड की 95 नहरें हैं, जो नौगढ़, शोहरतगढ़, इटवा, बांसी, डुमरियागंज में 1180 किमी दायरे में बह रही है।
शोहरतगढ़ प्रतिनिधि के अनुसार पकड़ी बाजार के खरगवार गांव में बाणगंगा नहर के किनारे ही आग लगी और बुझाने में देर होने के कारण 100 बीघा फसल खाक हो गई। किसानों का कहना है कि नहर में पानी होता तो इतनी तबाही न होती। इसी प्रकार क्षेत्र के सेमरा, केसार और खुनुवां माइनर भी सूखी है। आग लगने पर लोग पेड़ों की झाड़ियों से बुझा रहे थे तो पानी के लिए पंपसेट का सहारा लेना पड़ा।
सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता आरके नेहरा ने कहा कि सिंचाई के लिए नहरों में पानी छोड़ा जाता है। इस सीजन में सिंचाई नहीं होनी है इसलिए पानी नहीं छोड़ा गया है। आग बुझाने के उद्देश्य से कभी भी नहरों में पानी नहीं छोड़ा गया।
शोहरतगढ़ क्षेत्र में सुखी पड़ी नहर।