सिद्धार्थनगर। शहर में बुधवार रात मूर्ति विसर्जन के दौरान डांस (नृत्य) करते समय हुई राहुल वर्मा की हत्या का पुलिस ने पर्दाफाश का दावा किया है। पुलिस का दावा है कि डीजे की धुन पर डांस के दौरान चिढ़ाने पर विवाद हो गया और चाकू मारकर हत्या की गई थी। एसओजी और सदर पुलिस की टीम ने शुक्रवार सुबह क्षेत्र के बढ़या गांव के पास से पांच लोगों को दबोच लिया। पूछताछ के बाद पुलिस ने न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया।
पुलिस लाइंस सभागार में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में एसपी अमित कुमार आनंद ने ये बातें बताईं। एसपी ने बताया कि 26 अक्तूबर की रात सदर थाना क्षेत्र के मुड़िला गांव निवासी राहुल की मूर्ति विसर्जन के दौरान बेलहिया मंदिर के पास चाकू मारकर हत्या कर दी गई थी। परिवार की ओर से मिली तहरीर के आधार पर अज्ञात के खिलाफ हत्या का केस दर्ज करके मामले की जांच शुरू की गई थी।
जांच में जुटी टीम को पता चला कि हत्या में शामिल लोग नगर के ही रामनगर के रहने वाले हैं और मौजूदा समय में वे क्षेत्र के बढ़या गांव के पास मौजूद हैं। शहर कोतवाल तहसीलदार सिंह, एसओजी प्रभारी जीवन तिवारी, सर्विलांस सेल प्रभारी शेषनाथ यादव टीम के साथ बढ़ाया पहुंच गए। यहां पांच लोग दिखे, जो पुलिस की गाड़ी को देखकर भागने लगे। जवानों ने घेराबंदी करके उन्हें दबोच लिया।
पूछताछ में इन्होंने अपनी पहचान सागर यादव, अंकित यादव, मोनू यादव, सजीवन यादव, राजन यादव निवासी रामनगर मोहल्ला थाना सदर बताया। इन्होंने अपराध स्वीकार कर लिया है। पूछताछ के बाद सभी को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया।
नेपाल भागने की कोशिश में थे आरोपी
पुलिस के मुताबिक, पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि विसर्जन के दौरान वे शराब के नशे में डीजे की धुन पर डांस कर रहे थे। इसी बीच दूसरे डोले की कमेटी आ गई। डीजे बजाने में साथी मोनू यादव से राहुल की हाथापाई हो गई। आक्रोशित होकर सागर ने पेट में चाकू घोंप दिया और राहुल जमीन पर गिर गया। इसके बाद वे मौके से भाग निकले। जब पता चला कि राहुल की मौत हो गई तो नेपाल भागने के लिए घर से निकले थे, तभी पुलिस ने पकड़ लिया।
पुलिस के दावे पर उठे सवाल
पुलिस के के दावे के मुताबिक, डांस के दौरान हाथापाई हुई और सागर ने राहुल पर चाकू से हमला कर दिया और उसकी मौत हो गई। अगर पुलिस की बात को सही भी मान लिया जाए तो विवाद के वक्त पुलिस कहां थी। जब कार्यक्रम में सुरक्षा व्यवस्था कायम रखने की जिम्मेदारी थी तो पुलिसकर्मी कहां थे? वहीं हमले वाले दिन वहां मौजूद लोगों को यह पता नहीं चला कि चाकू कहां से और कैसे चला चला? उन्हें झगड़े की जानकारी नहीं हुई, जब राहुल जमीन पर गिर गया तो भगदड़ मच गई। अगर विवाद में हमला होता तो साथ गए अन्य लोग बीच-बचाव जरूर करते, जबकि उनका कहना है कि ऐसा कुछ हुआ ही नहीं। ऐसे में हत्या का कारण कुछ और ही है। पुलिस उस पर पर्दा डालने की कोशिश की है। लोग पुलिस के पर्दाफाश पर संदेह जता रहे हैं।