सिद्धार्थनगर। चंद रुपयों के लालच में रोडवेज बसों के चालक और परिचालक नियम के विरुद्ध पार्सल को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचा रहे हैं। सिर्फ 70 रुपये देकर कोई भी, कुछ भी सामान एक स्थान से दूसरे स्थान तक भेज सकता है। सबसे खतरनाक बात यह है कि चालक और परिचालक पैक पार्सल को खोलकर यह देखने की कोशिश भी नहीं करते कि उसमें क्या है। न ही पार्सल बस तक पहुंचाने वाले से ही उसकी पहचान या पार्सल में क्या है, इस संबंध में पूछताछ की जाती है। ऐसे में इस आशंका से इन्कार नहीं किया जा सकता कि तस्कर रोडवेज कर्मियों की इस लापरवाही का फायदा उठाकर सीमा पार से आई अवैध सामग्री भी ठिकाने लगा दे रहे हों। इस संबंध में अधिकारियों की अनदेखी बड़ी घटना का कारण भी बन सकती है।
शनिवार को अमर उजाला ने पड़ताल की तो यह पूरा खेल सामने आया। महज 70 रुपये में एक गत्ता गोरखपुर तक लेकर जाने को रोडवेज का परिचालक तैयार हो गया, उसने यह भी जानने की कोशिश नहीं की कि पैक गत्ते में क्या है। इसी तरह दोपहर 1.25 बजे के करीब सिद्धार्थनगर रोडवेज बस स्टेशन पर गोरखपुर जाने को तैयार एक बस खड़ी थी। सवारियां बस में बैठ रहीं थीं और परिचालक रोडवेज परिसर में स्थित बेंच पर बैठा हुआ था। इसी बीच एक बाइक सवार आया और और परिचालक पूछा- गोरखपुर आपको ही जाना है? इसके बाद बाइक सवार ने पॉलिथीन में रखा सामान और 70 रुपये निकालकर परिचालक को दे दिए। परिचालक न तो उस व्यक्ति की पहचान पूछी और न ही यह जानने की कोशिश की कि पॉलिथीन में क्या है। वह बेंच से उठा और पॉलिथीन लेकर बस में चढ़ गया। अमर उजाला की पूछताछ में पता चला कि वह व्यक्ति मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव है और पॉलिथीन में उसने अपने परिजन के पास दवाएं भेजी हैं। अगर कोई तस्कर होता तो वह बिना जांच के सामग्री भेजने का फायदा उठाते हुए गांजा, चरस अथवा कोई भी अवैध सामग्री भेजवा सकता था। तस्कर एवं बदमाश ऐसी ही लापरवाही और ऊपरी कमाई के लिए सभी कायदे को तोड़ने का फायदा उठा रहे हैं।
रोडवेज कार्यालय के सामने ही चलता है मोलभाव
रोडवेज परिसर में कार्यालय के सामने खड़ी होने वाली बस्ती, गोरखपुर व लखनऊ की बसों से अवैध कूरियर का धंधा खुलेआम चलता है। सामानों को लाने वाले और चालकों और परिचालकों के बीच मोलभाव होता है, लेकिन किसी जिम्मेदार से इसकी कोई परवाह नहीं है।
त्योहारों के समय और फलता-फूलता है धंधा
तस्करों के लिए सामानों को ले जाने आने में सबसे अधिक सहायता रोडवेज बसों से मिलती है, क्योंकि इनकी कोई जांच नहीं होती है। वहीं त्योहारों में यह धंधा और भी फलता-फूलता है। होली- दिवाली और दशहरा आदि पर्व में बड़ी संख्या में लोग सामानों को ले जाते और ले आते हैं।
खुद के धंधे के लिए ही फेल कर दिया गया कूरियर का सिस्टम
जानकार बताते हैं कि रोडवेज में कूरियर सिस्टम भी लागू किया गया था। कुछ साल पहले कार्गो नाम कंपनी को काम दिया गया था, तब बाकायदा सामानों की बुकिंग होती थी और तय रेट पर सामान भेजे जाते थे। बुकिंग के पहले सामानों की जांच भी होती थी। इस सिस्टम से सरकार को तो फायदा था, लेकिन अफसरों की जेब नहीं भर पाती थी। इस वजह से ही इतनी जांच पड़ताल की जाती थी कि लोग इससे दूरी बनाने लगे। फिर इसे घाटे का सौदा बताकर शासन को रिपोर्ट भेजी गई और इस सिस्टम को बंद कर अवैध धंधे का पनपा दिया गया है।
सबका हिस्सा तय…नहीं मिलने पर करते हैं कार्रवाई
रोडवेज के सूत्रों का कहना है कि अवैध कमाई को वैध बनाकर अफसर तक अपना एक सिस्टम है। अगर, बस से मेज के नीचे से आने वाली कम होती है तो फिर अफसर जाग जाते हैं और अचानक चेकिंग शुरू कर दी जाती है। लेकिन, इस दौरान भी उसी बस के चालक या परिचालक पर कार्रवाई की जाती है, जिससे मामला बिगड़ा हो।
हो सकता है हादसा, मोटी कमाई का जरिया भी
अब इस सामान को ढोने में रोडवेज का सीधा नुकसान तो कुछ नहीं है, लेकिन अगर कोई बदमाश घटना करना चाहे तो उसे रोका नहीं जा सकता है। क्योंकि महज 70 रुपये से ही रोडवेज के जिम्मेदारों को मतलब है, इससे कोई लेना-देना नहीं है कि उसमें रखा क्या जा रहा है। दूसरे इससे मोटी कमाई भी होती है। 70 रुपये तो कम दूरी के होते हैं। अगर, दूरी अधिक होती है तो फिर रुपये भी ज्यादा देने होते हैं।
केस एक- बांसी में पकड़ा गया था नकली खोवा
तीन वर्ष पूर्व बांसी रोडवेज पर एक सरकारी बस में लावारिस लदा दो क्विंटल नकली खोवा पकड़ाया था, तब रोडवेज परिचालक ने बताया था कि वह यह खोवा कानपुर से यहां के लिए रखा था। खाद्य सुरक्षा विभाग अधिकारियों ने इस बाबत कई सवारियों से पूछताछ की लेकिन किसी ने उसे अपना होना नहीं कबूल किया।
केस दो – डुमरियागंज में पकड़ी गई थी एक क्विंटल मिठाई
एक वर्ष पूर्व डुमरियागंज रोडवेज पर एक बस में कानपुर से लाया गया नकली खोवा की मिठाई बरामद की गई थी। सरकारी बस परिचालक ने बताया कि कानपुर में एक व्यक्ति यहां किसी दुकानदार को सुपुर्द करने के लिए यह मिठाई भेजी थी। जहां खाद्य सुरक्षा विभाग के अधिकारी ने छापेमारी कर इसे बरामद किया था।
बस में सिर्फ यात्री ही सामान ले जा सकते हैं, अगर चालक और परिचालक बिना यात्री के सामान बसों में लाद रहे हैं तो यह गलत है। इसकी जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी।
– जगदीश, एआरएम, रोडवेज सिद्धार्थनगर