सिद्धार्थनगर। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) उसका बाजार के चिकित्सक के तबादले से यहां की आकस्मिक सेवा प्रभावित हो गई है। इससे न सिर्फ ओपीडी पर असर पड़ा है, बल्कि ऑपरेशन में भी दिक्कत आ रही है। वर्तमान में मरीजों को सुविधा देने के लिए उधार के डाक्टरों से बुलाना पड़ रहा है। कोई इमरजेंसी केस आने पर दूसरे केंद्र से डॉक्टर को बुलाना पड़ता है।
उसका सीएचसी पर कई गांवों के मरीजों के इलाज की जिम्मेदारी है। मौजूदा में समय में यहां चिकित्सकों की कमी हो गई है। कारण यहां से चिकित्सकों का स्थानांतरण हो गया है। अस्पताल में एफआरयू ऑपरेशन से बच्चे पैदा कराने की व्यवस्था है। महिला सर्जन डॉ. शिल्पी रावत वर्तमान में प्रसूतावकाश पर हैं। अब हालत हो गई है कि आठ स्थायी डाक्टरों के पद सृजित होने के सापेक्ष सिर्फ तीन डॉक्टरों की तैनाती है। इन्हीं के जिम्मे मरीजों को ओपीडी, सर्जरी और आकस्मिक सेवाएं हैं। वर्तमान में यहां अधीक्षक डॉ. एसके पटेल के अलावा डॉ. ब्रजेश चंद्रा, डॉ. सानिया की तैनाती है। हाल ही में यहां तैनात डॉ. शैलेष कुमार का भी स्थानांतरण बस्ती जिले में हो गया है। पहले ही डॉक्टरों की कमी से जूझ रहे अस्पताल में एक डॉक्टर और कम हो गया। जबकि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर एक लाख से अधिक आबादी के स्वास्थ्य सेवाओं की जिम्मेदारी है। इस मौसम में सर्दी, जुकाम, बुखार, खांसी और संचारी रोग तेजी से फैलता है। ऐसे में बिना डॉक्टर इतने लोगों इलाज कैसे संभव यह आसानी से समझा जा सकता है। वर्तमान में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सेमरहना के डॉ. आनंद गुप्ता, महुलानी के डॉ. ऐश्वर्य श्रीवास्तव को दोपहर दो बजे के बाद सीएचसी पर सेवा देने के लिए संबद्ध किया गया है। लेकिन आकस्मिक सेवा नहीं मिलने के कारण मरीजों की मुश्किलें बढ़ गईं हैं। दो दिन पहले सर्जरी से बच्चा पैदा करने के लिए जिले से सर्जन, अचेतक, बाल रोग विशेषज्ञ की मेडिकल टीम बुलानी पड़ी थी। इस संबंध में अधीक्षक डॉ. एसके पटेल ने बताया कि डॉक्टरों की कमी है। पीएचसी से दो डॉक्टरों को संबद्ध किया गया है। नागरिकों के स्वास्थ्य सेवाओं के लिए हरदम तैयार रहते हैं। मरीजों को कोई परेशानी नहीं होने पाएगी।