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4.50 लाख बाढ़ पीड़ितों का न रहने का ठिकाना और न ही खाने पीने का इंतजाम

Last updated on October 29, 2022

सिद्धार्थनगर। बाढ़ से मचे हाहाकार के बीच छह सौ गांव के 4.50 लाख पीड़ित ठहरने, भोजन और आवागमन की दुश्वारियां झेल रहे हैं। 15 दिन की बाढ़ में प्रशासन बचाव, सुरक्षा, राहत सामग्री वितरण कार्य से जूझता रहा, लेकिन, यह सब बाढ़पीड़ितों की तादाद के आगे नाकाफी रहा। आगे भी कुछ दिनों तक पीड़ितों को इस भयावह त्रासदी का दंश झेलना तय है।
बाढ़ से मची तबाही के बीच अब भले ही नदियों का जलस्तर कम हो रहा है, लेकिन अभी भी कई गांव जलमग्न हैं। इस 15 दिन की भयावह बाढ़ से अब तक छह सौ बाढ़ प्रभावित गांव में 375 गांव मैरूंड रहे। इससे सभी पांचों तहसीलों की 4.50 लाख आबादी बाढ़ प्रभावित रही और 60 हजार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल जलमग्न रहा।

अब प्रशासनिक तैयारियों पर नजर दौड़ाएं तो बाढ़ के अंतिम समय तक सिर्फ 242 नाव और 44 मोटरबोट उपलब्ध हो सकी थी। बाढ़ प्रभावित छह सौ गांवों में अधिकांश गांव के लोग आवागमन के लिए नाव का इंतजार करते दिखे। 4.5 लाख बाढ़ पीड़ितों में प्रशासन की तरफ से अभी तक सिर्फ राहत सामग्री के छह हजार पैकेट बांटे गए हैं। वहीं, इन बाढ़ पीड़ितों के बीच 15 दिन के अंदर सिर्फ 1.12 लाख लंच पैकेट वितरित किए गए। इससे साबित होता है कि चारो तरफ से पानी घिरे गांवों के बाढ़ पीड़ितों को भूखे पेट ही रात-दिन गुजारना पड़ा।
एडीएम उमाशंकर का कहना है कि बाढ़ से घिरे गांवों तक राहत सामग्री पहुंचाना मुश्किल था, फिर भी प्रशासन की तरफ से बचाव, राहत सामग्री वितरण का सही तरीके से इंतजाम किया गया है।



ठहरने के लिए मिली एक हजार तिरपाल
भूख और घर से न निकल पाने के दर्द को समेटे बाढ़ पीड़ितों को ठहरने तक के इंतजाम के लिए जूझना पड़ रहा है। कहीं लोगों ने छत पर ठिकाना बनाया, तो कहीं दूसरे के ऊंचे घर में शरण ली। बाढ़ से बचने के लिए सार्वजनिक स्थल पर शरण लिए तो डुमरियागंज जैसा हादसे गुजरना पड़ा। प्रशासन की तैयारी देखे तो उनकी तरफ से सभी तहसील के लाखों बाढ़ पीड़ितों के लिए सिर्फ 1047 तिरपाल का इंतजाम किया गया था। कुछ स्थानों को छोड़ बाढ़ शरणालय कहीं भी संचालित नजर नहीं आया।

जलमग्न गांव बचाने को कटा एक और बांध
जोगिया क्षेत्र में जलमग्न 50 से अधिक गांवों को बचाने के लिए उसका-लखनापार बांध को हरैया गांव के पास काट दिया गया है। जलभराव से जोगिया थाना, चौराहा समेत आसपास के जोगिया, सजनी, सजनापार, हरैया समेत कई गांव चारो तरफ से पानी से घिरे थे। जिससे लोगों का घर से निकलना मुश्किल हो गया था। क्षेत्र की कई सड़कें जलमग्न होन के कारण टूट गई। प्रशासन ने इन गांवों से जलनिकासी के लिए सिंचाई विभाग को निर्देशित किया। इसके बाद ग्रामीणों एवं विभागीय कर्मियों की मौजूदगी में बांध काट बूढ़ी राप्ती नदी में जलनिकासी की गई।



उसका में उलटा बह रही कूड़ा नदी
उसका बाजार। कूड़ा नदी का जलस्तर कम होने के कारण राप्ती और बूढ़ी राप्ती नदी का पानी तीनों नदियों के संगम स्थल से वापस होकर उलटा बह रहा है। इस दृश्य को देखने के लिए उसका नदी पुल पर लोगों की भीड़ लगी रही। इससे पहले शोहरतगढ़ में भी बानगंगा बैराज के पास नदी की धारा उलटी दिशा में बहती देखी गई। सिंचाई विभाग का कहना है कि जिन नदियों का जलस्तर कम होता है, उनमें दूसरी नदियों के बाढ़ का पानी चढ़ने लगता है, जिससे उनकी धारा की दिशा उलटी हो जाती है।