-जिला अस्पताल की ओपीडी में मरीजों काे थमाया जा रहा निजी अस्पताल का कार्ड
कुछ डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी मिलीभगत कर मरीजों का कर रहे शोषण
-जिला अस्पताल में सक्रिय हैं दलाल, पहले भी दिशा की बैठक में हो चुकी शिकायत
फोटो- स्त्री व प्रसुति रोग ओपीडी के सामन खड़े लड़के व ओपीडी में मौजूद मरीज, डॉक्टर की हैंड राइटिंग में लिखा निजी सेंटर का नाम
संवाद न्यूज एजेंसी
सिद्धार्थनगर। माधव प्रसाद त्रिपाठी मेडिकल कॉलेज से संबद्ध संयुक्त जिला अस्पताल की ओपीडी में बैठने वाले कुछ डॉक्टर भी मरीजों को निजी अस्पताल और जांच सेंटर का नाम पर्ची पर लिखकर दे रहे हैं। मरीजों को अपने निजी अस्पताल में बुलाने की जहमत उठाए बिना ही वे कमीशन कमा रहे हैं। अस्पताल प्रशासन मरीजों के शोषण के इस खेल पर रोक लगाने में फिसड्डी साबित हो रहा है, जबकि ओपीडी में निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं।
संवाददाता ने बृहस्पतिवार सुबह 11:30 से दोपहर 12:30 बजे तक अस्पताल की ओपीडी में पड़ताल की तो डॉक्टर व स्वास्थ्य कर्मियों का खेल नजर आया। किसी को जांच के लिए निजी अस्पताल का कार्ड थमाया जा रहा है तो किसी के पर्चे के पीछे जांच सेंटर का नाम लिखा जा रहा है। हालांकि, जो केस मिले, वे सभी स्त्री एवं प्रसुति रोग विभाग से संबंधित हैं। जिला अस्पताल की ओपीडी में प्रतिदिन करीब एक हजार मरीज पहुंच रहे हैं, जिनमें कम जागरूक लोग सक्रिय दलालों के झांसे में आकर जेब ढीली कर रहे हैं। जिला अस्पताल की ओपीडी में दलाली की शिकायत चार माह पहले दिशा की बैठक में हुई थी, जनप्रतिनिधियों ने जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक को दलाली पर लगाम लगाने का काम सौंपा था, लेकिन जांच और दवा बिक्री का यह खेल बदस्तूर जारी है। इस संबंध में ड्यूटी डॉक्टर गायनिक सर्जन डॉ. एसएन उपाध्याय ने बाहर की जांच व दवा लिखने से इनकार किया। उन्होंने बताया कि मरीज पूछते हैं तो बाहर मौजूद लड़कें उन्हें जांच सेंटर का नाम बताते होंगे।
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इस प्रकार सामने आया हकीकत
जिला अस्पताल की स्त्री एवं प्रसुति रोग विभाग में बुधवार को इलाज कराने गई चंद्रकांति को डॉक्टर ने बाहर की जांच लिखी और जिला न्यायालय के सामने पता वाले अस्पताल का कार्ड भी थमा दिया। उसने निजी अस्पताल में जांच कराने से मना किया तो डॉक्टर ने दो-चार बातें सुना भी दीं, उसने अमर उजाला में शिकायत की तो बृहस्पतिवार को पड़ताल की गई।
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कुछ बताने से डरते हैं मरीज
ओपीडी में नियमित इलाज कराने वाले मरीज इस डर से मुंह नहीं खोल रहे हैं कि डॉक्टर अगली बार उन्हें दवा लिखने की बजाए परेशान न करने लगे। यहीं कारण है कि बाहर की जांच और दवा की पर्ची लेकर जाने वाले कई मरीज बोलने को तैयार नहीं हुए। यदि जिम्मेदार अधिकारी औचक निरीक्षण करते तो दलाली के खेल में कार्रवाई जरूर होती।
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पर्चे के पीछे लिखा जांच सेंटर का नाम
स्त्री एवं प्रसुति रोग विभाग की ओपीडी में मैंने खुद को दिखाया। डॉक्टर ने कुछ दवाइयां और जांच लिखी है। जांच और जांच के सेंटर का नाम पर्चे के पीछे है। इलाज कराना है तो जांच कराना ही होगा।
निर्मला, गायघाट
ओपीडी के कुछ युवक खरीदवा देते हैं दवा
स्त्री एवं प्रसुति रोग विभाग में दो माह से बेटी का इलाज करा रही हूं। अब तक दो हजार रुपये की दवा खरीद चुकी हूं। ओपीडी गेट पर रहने वाले युवक मेडिकल स्टोर तक पहुंचाकर दवा खरीदवा देते हैं।
बीना, मधुकरपुर