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प्रभुदयाल विद्यार्थी एक स्वतंत्रता सेनानी।पुर्वांचल के गाँधी। Prabhu Dayal Vidyarthi

Last updated on April 9, 2023

पूर्वांचल के गांधी Prabhu Dayal Vidyarthi एक लौह पुरुष का जन्म 7 सितंबर 1925 को हुआ यह अपने बाल्यावस्था से निडर और साहसी प्रवृति के व्यक्ति रहे इनका विचार दूरगामी परिणामों पर अध्ययन करने के साथ देश की आजादी दिलाने में स्वर्णिम अवसर प्रभु दयाल विद्यार्थी ने प्राप्त किया। आइऐ आपको इनके जीवन का दर्शन कराएं। प्रभु दयाल विद्यार्थी जोगिया उदयपुर से जन्में अपनी शिक्षा के दौरान उन्होंने काफी संघर्ष किया,जाति प्रथा से पीड़ित दिखे लेकिन शिक्षा और सच्चाई संघर्ष से कभी उन्होंने हार नहीं मानी, शिक्षा के दौरान उनकी मुलाकात ठक्कर बाबा से हुई ठक्कर बाबा ने विद्यार्थी जी को महाराष्ट्र के वर्धा सेवा आश्रम में ले गए और उन्होंने गांधी जी से मुलाकात करवाई और गांधी जी के साथ विद्यार्थी जी रहने लगे और देश के आजादी में गांधी जी के साथ प्रभु दयाल विद्यार्थी जी ने संघर्ष भी किया देश को आजादी दिलाने में प्रभु दयाल विद्यार्थी का विशेष योगदान रहा, गांधी जी विद्यार्थी को अपना छठा बेटा भी मानते थे गांधीजी विद्यार्थी को कई पत्र भी लिखे, पत्रों के अध्ययन से पता चलता है कि विद्यार्थी जी का लगाव गांधी जी से बहुत था।

पूर्वांचल के गांधी प्रभु दयाल विद्यार्थी जी सन् 1952 में राजनीतिक कदम रखे और रुधौली विधानसभा क्षेत्र जिला बस्ती से कांग्रेश के प्रत्याशी के रूप में 2 जोड़ी बैल के चुनाव निशान से चुनाव लड़े और प्रथम बार विधायक चुन लिए गये , दूसरी बार बांसी विधानसभा से चुनाव लड़ें इनके प्रतिद्वंदी जनसंघ के माधव प्रसाद त्रिपाठी रहे बांसी विधान सभा से प्रभु दयाल विद्यार्थी जी दूसरी बार विधायक चुने गए, सन 1962 में विद्यार्थी जी तीसरी बार चुनाव लड़ें और हार गए, इनके प्रतिद्वंदी माधव प्रसाद त्रिपाठी चुनाव जीते, वहीं सन 1967 में विद्यार्थी जी चुनाव लड़ें और चुनाव जीते, सन् 1969 तथा सन् 1974 में भी विद्यार्थी विधायक चुने गये।




श्री प्रभु दयाल विद्यार्थी जी का जीवन राजनीति में काफी अच्छा रहा। फिर सन् 1977 में जब चुनाव नजदीक आया तो उस समय विद्यार्थी जी काफी अस्वस्थ रहे, इस कारण चुनाव नहीं लड़ पाए तो अपनी धर्मपत्नी श्रीमती कमला साहनी को शोहरतगढ़ विधानसभा से चुनाव लड़ाया तो वह चुनाव हार गयी उसके बाद सन् 1980 व सन् 1984 और सन् 1989 में चुनाव हुआ और तीनों बार श्रीमती कमला साहनी जी शोहरतगढ़ विधान सभा सीट से विधायक चुनी गई।श्री विद्यार्थी ने अपने जीवन में अपनी पत्नी को शिक्षा-दीक्षा भी उच्च स्कूल में दाखिला करवाकर कराई, उनका सपना श्रीमती कमला साहनी ने विधायक बनकर लोक कल्याण हित में अपना जीवन समर्पण कर किया। पूर्वांचल के गांधी श्री प्रभु दयाल विद्यार्थी जी ने अपनी अन्तिम सांस सन् 1977 में ली और पंचतत्व में विलीन हो गये, तथा अपने पीछे अपनी पत्नी श्रीमती कमला साहनी और अपने तीन बेटी को छोड़ गये। हम सब पूर्वांचल के गांधी प्रभु दयाल विद्यार्थी को सहृदय नम आंखों से नमन करते हुए हमेशा-हमेशा के लिए लौह पुरुष के रूप में पूर्वांचल के गाधी प्रभु दयाल विद्यार्थी को याद रखेंगे।