पिछले कुछ दिनों से तेजी से बढ़ रहे तापमान ने मुसीबत खड़ी कर दी है। भारतीय मौसम विभाग के अनुसार बृहस्पतिवार को अधिकतम तापमान 39.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो इस सप्ताह बढ़कर 42 तक पहुंच सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक, तेजी से बढ़ता तापमान हीटस्ट्रोक का कारण बनता है। जरा सी लापरवाही से यह मौसम जानलेवा साबित हो जरूरी है।
जब पारा 40 डिग्री सेल्सियस के करीब पहुंच गया तो इंसान ही नहीं, जानवर भी परेशान हो गए। तेज धूप के साथ 40 से 50 किमी प्रति घंटा की रफ्तार चल रही पछुआ हवा के कारण गर्मी का असर बढ़ गया है। दोपहर में लपट ऐसी लग रही है कि राहगीरों भी जल्द छांव तलाश रहे हैं। सामान्य तापमान 37.6 डिग्री सेल्सियस से तापमान दो डिग्री ऊपर पहुंच गया है, जबकि यह अंतर पांच डिग्री सेल्सियस होगा तो हीट वेब का जोखिम और बढ़ जाएगा। राज्य कृषि मौसम केंद्र के प्रभारी अतुल कुमार सिंह ने बताया कि तीन दिन से तापमान में वृद्धि हो रही है, जबकि आगे भी तापमान बढ़ने की आशंका है।
स्ट्रोक से बचना है तो खूब पानी पीएं
जिला अस्पताल के डॉ. सीबी चौधरी ने बताया कि शरीर को ठंडा और हाइड्रेटेड रखकर हीटस्ट्रोक से बचा जा सकता है। शरीर में पानी की कमी न होने दें। दिन के समय में धूप से दूर रहने की कोशिश करें। हीट-स्ट्रोक के कारण वैसे तो सामान्य स्थितियों में बुखार, सिरदर्द और उल्टी जैसी दिक्कतें होती हैं, लेकिन जिस तरह से मौसम में बदलाव हो रहा है कि स्थितियां जानलेवा हो सकती हैं।
मेडिकल कॉलेज की डॉ. कनिका मिश्रा ने बताया कि इस मौसम में लापरवाही से हीटस्ट्रोक का खतरा 95 फीसदी तक बढ़ जाता है। हीटस्ट्रोक एक ऐसी स्थिति है, जब शरीर का तापमान 104 डिग्री फारेनहाइट (40 डिग्री सेल्सियस) या इससे ऊपर पहुंच जाता है। ऐसे में शरीर के बढ़े हुए तापमान को समय पर संतुलित नहीं किया जाए, तो यह दिमाग और किडनी जैसे महत्वपूर्ण अंगों को नुकसान पहुंचाता है और मौत का कारण भी वन सकता है।
मौसम विभाग ने किया सतर्क
आपदा विशेषज्ञ पुष्पांजलि सिंह ने बताया कि इस साल भारतीय मौसम विभाग ने तापमान को लेकर सतर्क किया है। आगाह किया है कि जिले में तापमान 43 से 44 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो सकता हैं। ऐसे में हीटस्ट्रोक का खतरा अधिक है। ओपीडी में आने वाले मरीजों को सलाह दी जा रही है कि धूप से बचें और बहुत जरूरी न हो तो दिन में घर से न निकलें।
स्ट्रोक के लक्षण
पसीना कम आना, शरीर बहुत गर्म हो जाना, बेचैनी, हांफना, बहुत ज्यादा गर्मी लगना, बेहोशी छाना, क्रैम्प आना, दौरा पड़ना।
बचाव के उपाय
बहुत जरूरी होने पर पर्याप्त इंतजाम के साथ ही धूप में घर से निकलें। पर्याप्त मात्रा में पानी पीएं। धूप में छाता और टोपी पहने या फिर गमछा बांधकर चलें। सूती के सुविधाजनक ढीले कपड़े ही पहने। कम से कम 15 सन प्रोटेक्शन फैक्टर (एसपीएफ) का सनस्क्रीन लगाएं। पानी के अलावा नींबू पानी, ताजा जूस और नारियल पानी पीएं।