सिद्धार्थनगर। कोरोना का संक्रमण एक बार फिर तेजी से बढ़ा रहा है। बीमारी से बचाव के लिए जागरूकता की बात कही जा रही है। लेकिन कोरोना से बचाव का टीका पांच माह से जिले में नहीं है। ऐसे में 25 प्रतिशत युवा व किशोर टीके की एक ही डोज लेकर घूम रहे हैं। ऐसे में उनके संक्रमित होने का खतरा अधिक है।
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर दो डोज लगा हुआ है और व्यक्ति संक्रमित भी हो जाता है तो इम्युनिटी पावर इतनी रहती है कि वह बीमारी को मात दे देता है। ऐसे कई केस में देखने को मिला है। कोरोना से बचाव के लिए टीके की दोनों डोज बेहद जरूरी है। टीका उपलब्ध कराने को लेकर अधिकारी गंभीर नहीं हैं।
कोरोना संक्रमण की पहली और दूसरी लहर ने जमकर तबाही मचाया था। इसमें शायद ही कोई घर छूटा, जहां परिवार संक्रमित न हुआ हो। इसके साथ ही न जाने कितने लोग इसी बीमारी की जद में आकर जिंदगी से हाथ धो दिए। वहीं संक्रमित हुए अधिक लोग ऐसे हैं, जिन्हें आज भी किसी न किसी बीमारी से जूझना पड़ रहा है। दूसरी लहर के बाद देश में कोरोना से बचाव के लिए टीका आया। इसमें सबसे पहले उन लोगों को टीका लगा जो फ्रंटलाइनर थे, बुजुर्ग थे, जिन्हें संक्रमित होने का खतरा अधिक था। इसके बाद टीकाकरण हुआ। अब 12 से 18 वर्ष तक के बच्चों को भी टीकाकरण शुरू हुआ। लेकिन इस आयु वर्ग के 25 प्रतिशत ऐसे युवा और किशोर हैं, जो टीके के दूसरी डोज से वंचित हैं। ऐसा इसलिए कि पांच माह से जिले में कोरोना रोधी टीका आया ही नहीं है। एक डोज लेकर वह घूम रहे हैं। ऐसे में इन्हें संक्रमित होने का खतरा अधिक है। बावजूद इसके अधिकारी टीका उपलब्ध कराने और दूसरी डोज देने को लेकर प्रयासरत नहीं हैं।
टीके का दोनों डोज बहुत ही जरूरी है। यह नहीं है कि टीका लग जाए तो कोई व्यक्ति संक्रमित नहीं होगा। अगर टीके की दोनों डोज लगी है तो इम्युनिटी पावर इतना हो जाता है कि संक्रमित होने के बाद भी व्यक्ति बीमारी से लड़कर स्वास्थ्य हो जाता है। जैसा कि देखा जा रहा है। इस बार जो भी व्यक्ति संक्रमित हो रहा है वह जल्द ठीक हो जा रहा है, कारण टीके की डोज ले चुका है। इसलिए कोई भी हो यह टीके का कोर्स है, इसलिए दोनों डोज लेने बहुत ही जरूरी है।
-डॉ. एमपी कशौधन, पूर्व सीएमओ
टीका जिले में नहीं है, इसके लिए शासन को अवगत कराया जा चुका है। टीका आते ही वंचित लोगों को लगवाया जाएगा। इसके साथ ही जिन्हें अभी एक डोज लगा है, उन्हें दूसरी डोज लगाई जाएगी।
-समीर सिंह, महामारी रोग विशेषज्ञ