Last updated on October 29, 2022
सिद्धार्थनगर जिले में अब तक बाढ़ में डूबने से नौ लोगों की मौत हो चुकी है। इसमें बांसी तहसील में दो, डुमरियागंज में पांच और इटवा में दो मौत शामिल है। वहीं बाढ़ प्रभावित गांवों की तादाद 543 हो गई है, इसमें 359 गांव मैरूंड है।
बांसी में बाढ़ प्रभावित गांवों की तादाद 147 हो गई, इसमें 67 गांव मैरूंड है। नौगढ़ में बाढ़ प्रभावित 89 गांवों में 66 गांव मैरूंड है, डुमरियागंज में बाढ़ प्रभावित 130 में 82 गांव मैरूंड, इटवा में बाढ़ प्रभावित 93 गांव में 60 गांव मैरूंड है और शोहरतगढ़ में 84 बाढ़ प्रभावित गांवों में सभी 84 गांव मैरूंड है। बाढ़ प्रभावित और मैरूंड गांवों की 4.23 लाख आबादी प्रभावित है, जबकि जिले की 55 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल जलमग्न है। डीएम संजीव रंजन ने बताया कि बाढ़ प्रभावित व मैरूंड गांवों में 218 नावें और 31 मोटरबोट लगाई गई हैं।
मरवटिया में बाढ़ का पानी, हर तरफ परेशानी
राप्ती नदी में उफान के बाद मटियरिया डीह सहित प्राथमिक विद्यालय भी चारों ओर से बाढ़ के पानी से घिर गया है। इससे यहां के लोगों को आवागमन में भी परेशानी हो रही है।
खेसरहा ब्लॉक की ग्राम पंचायत मटियरिया के टोला मटियरिया में चारों तरफ बाढ़ का पानी भर जाने के कारण लोगों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। यह गांव बांसी-पनघटिया बांध और राप्ती नदी के बीच में होने से यहां की स्थिति बदतर हो गई है। जलस्तर बढ़ने के कारण रास्ते नहीं दिखते हैं। इससे आवागमन में भी कठिनाई होती है। यहां की आबादी लगभग पांच सौ है।
इस गांव में पानी पीने के लिए हैंडपंप तक नहीं है। प्राथमिक विद्यालय भी चारों ओर पानी से घिर गया है, जिससे पठन-पाठन भी बंद है। यहां केवल एक महिला अध्यापक पूजा कुशवाहा की ही तैनाती है। 60 छात्र नामांकित हैं, पर चारों ओर पानी भर जाने से पढ़ाई बंद है।
बढ़ते जलस्तर को देखकर वह पहले ही किसी तरह अभिलेख निकाल लाई थीं। अब तक गांव में शासन प्रशासन से कोई मदद उपलब्ध नहीं हुई है। गांव के रामकुमार, अमित कुमार, रामजी, अर्जुन, पुनीत, गब्बू, राजू, सुरेश आदि ने शासन प्रशासन से जल्द से जल्द मदद की गुहार की है।