सिद्धार्थनगर। आरोग्य मेला में आई फ्लू के मरीजाें की संख्या बढ़ने लगी है। कहीं-कहीं आई ड्राप की कमी होने से पीड़ितों को समस्या हो रही है। हालांकि चिकित्सक उपचार के बाद सतर्कता बरतने की सलाह दे रहे हैं।
डॉ. एमएम मिश्रा ने बताया कि इस समय आई फ्लू का सीजन चल रहा है, लेकिन अस्पताल में अभी तक कोई भी आई फ्लू का मरीज नहीं आया है। अस्पताल में नेत्र परीक्षक की नियुक्ति नहीं है और आई फ्लू का दवा भी नहीं है। इस दौरान डॉ. एमएम मिश्रा, फार्मासिस्ट नुरुल हसन. बद्री प्रसाद, रवि कुमार मौजूद रहे।
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यह है लक्षण
– आंखें लाल होना
– आंखें चिपचिपी होना
– आंखों में सूजन होना
– खुजली व पीले रंग का पानी आना
– आंखों में चमक लगना
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यह बरते सावधानी
– मरीज को आइसोलेट रखें
– उसकी टॉवल-पिलो अलग रखें।
– घर में तीन से पांच दिन अलग रहने की सलाह दें
– आंखों से छूने से बचाने के लिए चश्मा लगाए रखें
– साफ सफाई का ध्यान रखेंॅ
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चिकित्सक की सलाह
न्यू पीएचसी बिस्कोहर के चिकित्सक डाॅ. एससी शर्मा ने बताया कि कम तापमान और हाई ह्यूमिडिटी की वजह से लोग बैक्टीरिया, वायरस और एलर्जी के संपर्क में आते हैं। यही एलर्जिक रिएक्शन्स और आई इन्फेक्शन जैसे कंजंक्टिवाइटिस का कारण बनते हैं। आंखों में खुजली या सूजन होने का मतलब है कि कंजंक्टिवाइटिस है। इस कंडीशन में बार-बार आंखों में हाथ लगाने से दूसरी आंख में भी इसके होने का रिस्क बढ़ जाता है। कठौतिया के डाॅ. ईशदेव आर्या ने कहा संक्रमण से बचकर ही आई फ्लू को कम किया जा सकता है। इसमें मरीज की आंख के सफेद हिस्से में संक्रमण होता है, जो जल्द ठीक हो सकता है, लेकिन 30 फीसदी मरीजों में यह पुतली को भी नुकसान पहुंचा सकता है। गंभीर मरीजों की आंखों की रोशनी प्रभावित हो सकती है।