सिद्धार्थनगर। इटवा क्षेत्र के कठेला गांव के कैथवलिया में घरेलू प्रसव के बाद प्रसूता की मौत हो गई। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग के जागरूकता कार्यक्रमों पर सवाल उठा है। इस महिला का घर में प्रसव हुआ। परिवार के लोगों ने प्रसव के लिए महिला को अस्पताल नहीं पहुंचाया, जबकि उसकी तबीयत बिगड़ी तो सरकारी एंबुलेंस सेवा की भी उन्हें जानकारी नहीं थी।
कठेला गर्वी में वीरेंद्र की पत्नी अनुराधा का शुक्रवार को भोर में 3:30 बजे घर में प्रसव हुआ। सुबह 8 बजे उनकी तबीयत खराब हो गई। अनुराधा के ससुर घिसियावन ने बताया कि घर में ही प्रसव हो गया। उन्होंने आशा कार्यकर्ता को नहीं बुलाया, लेकिन सरकारी एंबुलेंस कैसे मिलती है, उन्हें जानकारी नहीं मिली। किराये का चारपहिया वाहन बुलाया तो अनुराधा को इटवा दिखाने के बजाय मेडिकल कॉलेज ले गए, लेकिन डॉक्टर ने तुरंत मृत घोषित कर दिया।
उन्होंने बताया कि टीकाकरण हुआ था। इटवा सीएचसी के अधीक्षक डॉ. संदीप द्विवेदी ने बताया कि प्रसूता को टीके लगाए गए थे, जबकि प्रसव का दर्द शुरू हुआ तो उन्होंने आशा कार्यकर्ता को सूचना नहीं दी।
बंगाली डॉक्टर ने लगाया था इंजेक्शन
घिसियावन ने बताया कि जब अनुराधा बेहोश हो गई तो उन्होंने बंगाली डॉक्टर को बुलाया था। झोलाछाप ने इंजेक्शन भी लगाया, लेकिन तबीयत में सुधार नहीं हुआ तो आधे घंटे बाद वे अस्पताल जाने के लिए गाड़ी बुलाए।
पैदा हुए हैं जुड़वा बच्चे
धीरेंद्र लेबर का कार्य करते हैं। तीन साल का उनका एक पुत्र है, जबकि इस बार जुड़वा बच्चे पैदा हुए हैं। वीरेंद्र का रो रोकर खराब हाल है। पत्नी के निधन पर वे बेसुध हो रहे हैं तो तीन बच्चों के परवरिश की चिंता भी उन्हें सता रही है।
कठेला गर्वी में प्रसूता की मौत के मामले की जांच की जा रही है। स्वास्थ्य कर्मियों की लापरवाही होगी तो कार्रवाई की जाएगी। झोलाछाप की भी जांच की जाएगी।
– डॉ. बीके अग्रवाल, सीएमओ