सिद्धार्थनगर/कपिलवस्तु। कपिलवस्तु में जहां महात्मा बुद्ध ने अपने जीवन के युवावस्था के 29 साल बिताए थे, वहीं पहुंचकर दक्षिण कोरिया के 200 सदस्यीय दल शांति का अनुभव करेगा। नेपाल स्थित भगवान बुद्ध की जन्मस्थली लुंबिनी से 20 किमी पैदल चलकर वे क्रीड़ास्थली कपिलवस्तु पहुंचेंगे। भोर में ही वे ककरहवा बाॅर्डर से जिले में प्रवेश करेंगे और पैदल चलते हुए भारत-कोरिया की साझी संस्कृति को भी जानेंगे।
दक्षिण कोरिया से धार्मिक यात्रा पर आए कोरियाई दल को अच्छी व्यवस्था देने के लिए पुलिस प्रशासन ने हरसंभव प्रयास किए हैं। जिस मार्ग से यह दल आएगा, उसपर सफाई के साथ जगह-जगह रोशनी की व्यवस्था भी की गई है। उनके साथ पुलिस के जवान चलेंगे तो कैटल और स्नेक कैचर भी। वैसे इस दल के साथ करीब 60 लोग आगे-आगे चल रहे हैं, जो टेंट व अन्य व्यवस्था बना रहे हैं। इनके साथ प्रशासन की टीम भी है।
सिद्धार्थ विश्वविद्यालय परिसर के सामने स्नानघर चलित शौचालय और सेफ हाउस भी बनाया गया है। सेफ हाउस में दो दिन तक डॉक्टर, स्वास्थ्य कर्मी व इलाज के संसाधन भी उपलब्ध रहेंगे।
कोरियाई दल में पुरुष व महिलाएं हैं, जो पवित्र भाव से पैदल चल रहे हैं। वे बुद्ध के जन्म स्थली से क्रीड़ा स्थली तक पैदल आएंगे और आगे श्रावस्ती तक पैदल ही जाएंगे। बर्डपुर नंबर चार से होते हुए शुद्दोधन के अस्तबल को भी देखेंगे। कपिलवस्तु में स्तूप पूजन के बाद आसपास के प्राचीन स्तूप गनवरिया और पिपरहवा में भी ऐतिहासिक साक्ष्यों को भी सहेजेंगे।
एसडीएम डॉ. ललित कुमार मिश्र ने बताया कि कोरियाई दल के लिए पूरी व्यवस्था की गई है। दोनों देशों में भगवान बुद्ध सेतु के समान हैं। इस दल से हमें कुछ नया जानने को मिलेगा, जबकि वे जाएंगे तो कोरिया में यहां के बारे में अन्य लोगों को भी बताएंगे।