सिद्धार्थनगर। कृषि विभाग में एक बड़ी गड़बड़ी सामने आई है। यहां बिना सूचना दिए एक कर्मचारी लापता हो गया था। बिना नौकरी किए ही उसने 17 वर्ष काट लिए। अब सेवा के अंतिम दौर में अधिकारियों की मिलीभगत से नौकरी शुरू की और 11 माह का वेतन लेकर सेवानिवृत्त भी हो गया। कर्मचारी को अब पेंशन और पूर्व के बकाया वेतन के भुगतान की तैयारी चल रही है। इस मामले की शिकायत एक भाकियू नेता ने सीएम, कृषि मंत्री और मंडलीय अधिकारी को पत्र भेजकर की है। नेता का कहना है कि विभागीय जिम्मेदार इसमें बड़ी गड़बड़ी करने वाले हैं। ऐसे में जांच कर कार्रवाई की जाए। उन्होंने चेतावनी भी दी है कि यदि कार्रवाई नहीं हुई तो वे आंदोलन करेंगे।
कृषि विभाग अक्सर सुर्खियों में रहता है। कभी बिना किसी नियुक्ति के हवा में कर्मचारी तैनात करने और भुगतान करने तो कभी अन्य किसी मामले को लेकर। इस बार एक ऐसे कर्मचारी का मामला सामने आया है, जिसकी नियुक्ति तो सही है, लेकिन कृषि विभाग में तैनाती मिलने के बाद वर्ष 2005 में एकाएक बिना किसी सूचना के लापता हो गया। वर्ष 2022 में अचानक चार अप्रैल को हाजिर हो गया। अधिकारियों से संपर्क साधा और ज्वाइन कर लिया। इस दरम्यान वह कहां था, क्यों नहीं आ रहा था? ये सब बिना जांच किए ही कर्मचारी का वेतन भुगतान भी शुरू हो गया। अप्रैल 2022 से फरवरी 2023 माह तक उसने विभाग में सेवा दी और 11 माह का वेतन लेकर सेवानिवृत्त हो गया। जब पेंशन और पूर्व के बकाए वेतन के लिए फाइल दौड़नी शुरू हुई तो विभागीय कर्मचारी भी हैरत में पड़े कि आखिरी यह शख्स है कौन? क्योंकि किसी 17 साल के भीतर तैनात होने वाले और यहां से स्थानांतरण पर जाने वाले किसी कर्मचारी ने उसे देखा ही नहीं है।
सूत्रों के अनुसार बड़ी धनराशि के लिए विभागीय अधिकारी पेंशन और पूर्व का वेतन भुगतान करने का रास्ता निकाल रहे हैं। इस मामले की भाकियू नेता इंद्रजीत दुबे ने मुख्यमंत्री, कृषि मंत्री कृषि निदेश उत्तर प्रदेश और मंडलीय अधिकारियों से शिकायत करते हुए जांच की मांग की है। उनका कहना है कि इकबाल अहमद प्राविधिक सहायक ग्रुप सी वर्ष 2005 के बाद से बिना किसी सूचना के गायब हो गए। जिस क्षेत्र में तैनात थे उस क्षेत्र का कोई व्यक्ति उन्हें जानता नहीं है। यहां तक की विभाग के लोग भी नहीं जानते हैं। तो कैसे ज्वाइनिंग कराई गई और कैसे वेतन का भुगतान किया गया। इसमें बड़ा भ्रष्टाचार हुआ है। मामले की जांच करके कार्रवाई की जाए। अगर कार्रवाई नहीं हुई तो आंदोलन होगा।
यह है नियम
जानकारों के मुताबिक अधिकारियों व कर्मचारियों के लिए बने कानून के मुताबिक पहले तो बिना सूचना के कोई अचानक अवकाश पर नहीं जा सकता है। अगर चला गया तो इस बात की सूचना विभाग को देनी होती है। बिना सूचना के अगर तीन साल तक कार्यालय में उपस्थित नहीं हुआ तो तीन बार नोटिस घर पर भेजा जाता है। जवाब नहीं मिलने पर समाचार पत्र में गजट प्रकाशित कराया जाता है और समय सीमा निर्धारित कर दी जाती है। अगर तय समय सीमा पर साक्ष्य के साथ उपस्थित नहीं हुए तो यह मान लिया जाता है कि सरकारी सेवा के इच्छुक नहीं हैं। इसलिए सेवा समाप्त कर दी जाती है। जबकि इस मामले मेंं 15 साल में विभाग ने एक बार भी नोटिस नहीं भेजा और न ही गजट प्रकाशित कराया।
मेडिकल के लिए करना होता है क्लेम
जानकारों के मुताबिक अगर कोई कर्मचारी गंभीर बीमारी का शिकार हो जाता है और ड्यूटी करने में अक्षम है तो सरकार उसका वेतन रोक देती है। रुपये के अभाव में इलाज प्रभावित न हो इसके लिए नियम है कि कर्मचारी हर माह दवा और इलाज का संबंधित पर्चा विभाग को भेजता है, जिसके आधार पर वेतन जारी होता रहे। इसके साथ ही जब कर्मचारी कार्य करने के लिए उपस्थित हो तो इलाज से जुड़े कागजात और फिटनेस प्रमाण पत्र लेकर आए। नियम यह भी है कि दिए गए फिटनेस प्रमाणपत्र को विभाग की ओर से संबंधित अस्पताल पर चिकित्सक से वेरीफाई कराया जाए कि वह सही है या नहीं। उसके बाद ही ज्वाइनिंग होती है। इस मामले में कर्मचारी को हार्ट से संबंधित गंभीर बीमारी बताई गई है लेकिन उन्होंने किसी माह मेडिकल के लिए क्लेम नहीं किया है।
करीब 40 लाख रुपये बन रहा है वेतन
गैरहाजिर रहने के दौरान जिस वेतन भुगतान के लिए फाइल इधर से उधर दौड़ रही है। उसमें लगभग 40 लाख रुपये का वेतन भुगतान होना है। सूत्रों के मुताबिक इसमें भी हिस्सा के लिए मानक को ताक पर रखकर भुगतान देने की तैयारी चल रही है। इस बात की विभाग में चर्चा है।
फर्जी कर्मचारी करता रहा नौकरी, लेता रहा वेतन
कृषि विभाग में तीन वर्ष पहले एक कर्मचारी पकड़ा गया था। जो लगभग आठ वर्ष से वेतन ले रहा था। वह कहां से स्थानांतरण होकर आया, यह जाने बिना उसे ज्वाइन कराकर वेतन का भुगतान किया जाने लगा। पोर्टल में कर्मचारियों का डाटा अपडेट होना शुरू हुआ तो पकड़ में आया। जांच में पता चला कि कर्मचारी फर्जी था। उसके खिलाफ केस दर्ज हुआ और जेल भेजा गया।
बोले जिम्मेदार
इकबाल अहमद हार्ट संबंधित बीमारी के शिकार हैं। एकाएक लंबे समय तक गायब नहीं रहे। वर्ष 2008, 2011 और 2017 में जब ज्वाइन किए तब उस समय का भुगतान हुआ है। इस बार भी सारी जांच के बाद ज्वाइनिंग कराई गई और कार्य करने की अवधि का वेतन भुगतान हुआ है। पूर्व के वेतन का भुगतान नहीं किया गया है।
– आरके विश्वकर्मा, उपकृषि निदेशक, सिद्धार्थनगर