सिद्धार्थनगर। सस्ती कीमत पर मिल रही जमीन के लालच में आकर आप बड़े झंझट में फंस सकते हैं। हो सकता है कि आप ऐसी भूमि खरीद लें, जिसके पहले से ही कई मालिक हों, या फिर वह भूमि सरकारी हो। ऐसे में उस भूमि पर कब्जा तो मिलेगा नहीं, अलबत्ता थाने से लेकर कचहरी तक चक्कर काटने की नौबत आ जाएगी। आपकी मेहनत की गाढ़ी कमाई डूबने का खतरा भी रहेगा। इसलिए जमीन खरीदें तो कब्जा भी साथ ही लें, तभी इस झंझट से बच पाएंगे।
शहर हो या उसका बाहरी इलाका, कहीं से भी गुजरते हुए आपको प्रापर्टी डीलरों के बैनर-पोस्टर नजर आ जाएंगे। लेकिन सभी के इरादे ठीक हों, यह जरूरी नहीं। तमाम प्रॉपर्टी डीलर लोगों को भूमि बेचने के नाम पर ठगी कर रहे हैं। वरिष्ठ अधिवक्ता अखंड प्रताप सिंह का कहना है कि अधिकृत फर्मों के अतिरिक्त किसी भी प्रॉपर्टी डीलर के झांसे में आने पर जालसाजी के शिकार हो सकते हैं। शहर के सनई चौराहा, पकड़ी चौराहा, बांसी व गोरखपुर मार्ग समेत शोहरतगढ़, इटवा, बांसी और डुमरियागंज में बड़ी संख्या में प्रॉपटी डीलरों के ऑफिस और बोर्ड नजर आएंगे। इनके सहयोगी निबंधन कार्यालय और तहसील में भी सक्रिय रहते हैं। किसानों से एग्रीमेंट कराकर ऐसे प्रॉपर्टी डीलर भूमि की सौदेबाजी करते हैं। ग्राहकों को लुभाते हुए रजिस्ट्री के बाद तत्काल कब्जा और फिर खारिज-दाखिल कराने की बात कहते हैं। लेकिन, कई मामलों में भूमि खरीदने के बाद मालूम होता है कि विक्रेता ने धोखाधड़ी की है। उसने जिस भूमि को बेचा है, उसका मालिक कोई और है। ऐसे में खरीदार की पूंजी डूबती है। यदि कब्जा हो भी गया तो उसे अतिक्रमण मानकर प्रशासन कभी भी कार्रवाई कर सकता है।
आसानी से कार्रवाई नहीं करती पुलिस
अधिवक्ता संजय पाठक ने बताया कि पिछले 10 साल के भीतर भूमि से संबंधित इस तरह के मामले बढ़े हैं। प्रॉपर्टी डीलर लोगों को झांसे में लेकर किसी की भूमि किसी को बेच देते हैं। इसकी जानकारी लोगों को तब होती है, जब वह भूमि पर कब्जा करने जाते हैं। या फिर गहराई से छानबीन होती है। ऐसे तमाम प्रकरण शहर समेत शोहरतगढ़, इटवा, बांसी और डुमरियागंज में सामने आते हैं। उन्होंने कहा कि भूमि का बैनामा कराने के दौरान लोग तय रकम का भुगतान कर देते हैं। जालसाजी सामने आने पर खरीदार को थाने से लेकर कचहरी तक दौड़भाग करनी पड़ती है। ऐसे मामलों में थानों की पुलिस आसानी से कार्रवाई नहीं करती। क्योंकि अधिकांश प्रॉपर्टी डीलर थाने वालों के परिचित होते हैं। यदि किसी मामले में काफी दबाव पड़ा तो प्रॉपर्टी डीलर सौदा रद करते हुए रकम वापस कर देते हैं। अधिकांश प्रकरणों में मुकदमा दर्ज कराने से लेकर कानूनी लड़ाई लड़ने में पीड़ित फंसे रहते हैं। एक ओर उनकी मेहनत की कमाई जमीन खरीदने में डूबती है। दूसरी ओर बचीखुची रकम मुकदमों में खर्च होती है।
भीमापार में बेच दी बंजर व कब्रिस्तान की ढाई बीघा कीमती भूमि
रजिस्ट्री कार्यालय में रजिस्ट्री के लिए जाने वाले लोगों को मना नहीं किया जा सकता है। इसका फायदा जालसाज उठाते हैं। यदि किसी भूमि के खाता संख्या की रजिस्ट्री पर रोक होती है, तो उसका डाटा फीड होने पर बैनामा करने वाले कर्मचारी जांच कर लेते हैं। अन्य मामलों में वह नहीं जान पाते कि बैनामा किस तरह की भूमि हो रहा है। इसका फायदा उठाकर प्रॉपर्टी डीलर लोगों को सीलिंग और नजूल की भूमि भी बेच देते हैं। ऐसा ही मामला शहर के भीमापार मोहल्ले का है, जहां बीते 10 वर्ष के अंदर कीमती सरकारी भूमि राजस्वकर्मियों व भू-माफियों की मिलीभगत से बेच दी गई। यहां स्थित एक बीघा कब्रिस्तान और डेढ़ बीघा बंजर भूमि अब सिर्फ कागजों में रह गई है। वर्तमान में इस भूमि पर इमारतें खड़ी हैं। ऐसे ही कई मामले शहर के दूसरे मोहल्लों में भी हैं जिनकी छानबीन की जाए तो कई लोग जद में आएंगे। इसके अलावा प्रॉपर्टी कारोबारी किसी दूसरे की भूमि दिखाकर सौदेबाजी करते हैं। पूर्व में बिकी जमीनों को दो से तीन बार बेच दिया जाता है।
कितने प्रॉपर्टी डीलर पंजीकृत, रिकॉर्ड तहसील में भी नहीं
अधिवक्ताओं के मुताबिक शहर में कितने प्रॉपर्टी डीलर पंजीकृत हैं। इसकी जानकारी किसी को नहीं होती है। इसका कोई रिकार्ड तहसील में नहीं है। इसलिए इनके बारे में लोगों को सही जानकारी नहीं हो पाती है। अधिवक्ताओं का कहना है कि प्रॉपर्टी कारोबारियों का पुलिस वेरीफिकेशन (सत्यापन) होना चाहिए। कोई शिकायत आने पर सही जांच होनी चाहिए। अधिवक्ता अमरेश श्रीवास्तव के अनुसार रेरा (रियल एस्टेट रेग्युलेटरी अथॉरिटी) की स्थापना रियल एस्टेट (रेग्युलेशन एंड डेवलपमेंट) अधिनियम, 2016 के तहत की गई है। इसके तहत रियल स्टेट कारोबारी रजिस्ट्रेशन कराते हैं। छोटे प्रॉपर्टी डीलर इसके बारे में सोचते ही नहीं हैं। किसी प्लाट, बिल्डिंग या अपार्टमेंट की खरीद बिक्री के लिए रेरा में रजिस्ट्रेशन जरूरी है। जिसका रेरा में रजिस्ट्रेशन नहीं है। वह प्रॉपर्टी डीलर या एजेंट विज्ञापन, बिक्री के ऑफर इत्यादि का प्रचार नहीं कर सकता है। जबकि हालत यह है कि शहर के हर गली, चौराहे व चाय की दुकान पर एक से अधिक तथाकथित प्रापर्टी डीलर भूमि की सौदेबाजी करते दिख जाएगा।
बेच दी दूसरे की भूमि, पीड़ित के डूबा 16 लाख
शहर के बसडिलिया में स्थित दूसरे की करोड़ों की कीमती चार बीघा जमीन को फर्जी प्रापर्टी डीलरों ने खुद का बता 16 लाख में बेच दिया। भूमि खरीदने वाले पीड़ित उसका क्षेत्र के मधवापुर निवासी पवन मौके पर कब्जा नहीं पा सके तो पुलिस के पास पहुंचे। मामला फर्जी पाए जाने पर खुद भी फंसते नजर आए तो भूमि लेने से हाथ पीछे खींच लिया। कीमती जमीन सस्ते में पाने के चक्कर में पुलिस और तहसील का चक्कर लगाने के बाद थक हारकर घर बैठ गए। उनके हाथ न जमीन लगी और न पैसा वापस हो सका।
फर्जी तरीके से ठगे 50 लाख, पांच गए जेल
शहर के खजुरिया निवासी फारूख ने साड़ी तिराहे के पास 44 मंडी जमीन खरीदने के लिए जिन प्रापर्टी डीलरों से सौदा किया, उन्होंने भूमि स्वामी का फर्जी पहचान पत्र बनवा बैंक खाता खुलवाया था। उन्होंने इस फर्जी भूमि स्वामी के खाते में पीड़ित फारूख से 35 लाख रुपये डलवाए और 15 लाख से अधिक नकद भी लिए। बैनामा कराने के दौरान खुलासा हुआ कि जिसके नाम से भूमि है उसे कोई पैसा ही नहीं मिला। पीड़ित की तहरीर पर केस दर्जकर पुलिस ने सेराज समेत पांच फर्जी प्रापर्टी डीलरों को जेल भेजा। इसके मुख्य आरोपी सेराज पर जिले के अन्य क्षेत्रों में भी इस तरह के फर्जीवाड़ा करने के आरोप है, पुलिस ने उस पर गैंगस्टर की भी कार्रवाई की है।
जमीन के क्रय-विक्रय में फर्जीवाड़ा करने वालों को चिह्नित किया जाएगा। उनके बारे में रजिस्ट्री विभाग को भी सूचित किया जाएगा ताकि फर्जीवाड़ा करने वालों पर नकेल कसी जा सके।
– डॉ. ललित कुमार मिश्र, एसडीएम, नौगढ़