सिद्धार्थनगर। अब हादसे का शिकार होकर रात में पहुंचने वाले लोगों को एक्स-रे जांच के लिए सुबह होने का इंतजार नहीं करना होगा। रात में ही उनकी जांच हो जाएगी, क्योंकि एक्स-रे रात आठ बजे तक चलाए जाने की कवायद शुरू हो गई है। यह इसलिए कि जांच के अभाव में चिकित्सकों को इलाज करने में दिक्कत होती थी। मरीज की गंभीरता की भी जानकारी नहीं मिल पाती थी। ऐसे में कई बार रेफर करना पड़ता है, जिससे मरीजों और तीमारदारों को परेशानी होती है।
माधव प्रसाद त्रिपाठी मेडिकल के संयुक्त जिला चिकित्सालय में कई सुविधाएं हैं। लेकिन समय सीमा तय होने के कारण मरीजों की जांच नहीं हो पाती है। इसमें लैब को 24 घंटे के लिए बहुत पहले ही कर दिया गया है। एक्स-रे केवल दिन में होता है। वह भी सुबह आठ से दोपहर दो बजे तक। केवल दिन में जांच होने के कारण शाम को और रात में हादसे में घायल होकर आने वाले मरीजों को दिक्कत होती थी। खास करके सिर में हड्डी के चोट वालों मरीजों को। उन्हें जांच के लिए सुबह तक का इंतजार करना पड़ता था। इससे मरीजों को तो दिक्कत होती ही थी। साथ ही इलाज करने वाले चिकित्सक को भी मरीज की स्थिति के बारे में सही जानकारी नहीं मिल पाती है।
जांच न हो जाने तक डॉक्टर अंदाजे से इलाज करते हैं। कभी- कभी में गंभीर चोट और समय से सही इलाज और दूसरे अस्पताल में न भेजे जाने पर मरीज की हालत और बिगड़ जाती है। इस समस्या को देखते हुए शासन ने एक्स-रे जांच रात में भी शुरू करने का निर्देश दिया है। कर्मचारियों को संख्या को देखते हुए पहले सुबह आठ से रात आठ बजे तक चलने की कवायद शुरू हुई है। इस प्रक्रिया के शुरू होने के बाद इसकी अवधि 24 घंटे भी भविष्य में हो जाएगा। इस संबंध में मरीजों का डाटा मांगा गया है। साथ ही रात इमरजेंसी में आने वाले दुर्घटना के शिकार मरीजों की संख्या मांगी है। इसके लिए कागजी कार्य शुरू हो गया है। दोपहर दो से आठ बजे रात की ड्यूटी चार्ट भी तैयार किया जा रहा है। उम्मीद है कि यह सुविधा जल्द मरीजों को मिलने लगेगी। इस संबंध में प्राचार्य डॉॅ. एके झा ने बताया कि एक्स-रे जांच रात आठ बजे तक शुरू करने प्रक्रिया चल रही है। कागजी कार्य हो रहा है, जल्द ही व्यवस्था शुरू हो जाएगी।
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छह घंटे में हर दिन से 200-250 मरीजों का होता है एक्स-रे
मेडिकल कॉलेज के एक्स-रे वार्ड के रिकार्ड के मुताबिक प्रतिदिन औसतन 200-250 मरीजों को छह घंटे में एक्स-रे जांच हो जाता है। सुबह आठ से दोपहर दो बजे तक जांच में इतनी संख्या में मरीज पहुंच जाते हैं। वहीं दोपहर बाद घायल होकर आने वाले मरीजों को अगले दिन का इंतजार करना होता। इसके बाद उनकी जांच हो पाती है।