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Siddharthnagar News: पहले चूस लिया धरती का जल, अब डेढ़ गुणा दाम में बेच रहे बोतल

सिद्धार्थनगर। बिना अनुमति और बिना मानक चल रहे आरओ प्लांटों ने भूगर्भ के जल का इतना दोहन किया कि शहर से लेकर गांव तक कई इलाकों में जलस्तर काफी नीचे चला गया है। इससे लोगों के घरों में लगे हैंडपंप पानी नहीं दे रहे हैं। वहीं, जिनके वहां पानी आ भी रहा है वह गंदा है। ऐसे में लगभग 45000 परिवारों के सामने पेयजल का संकट खड़ा हो गया है। उन्हें आरओ वालों से 20 लीटर की पानी की बोतलें खरीदनी पड़ रही हैं। इस मजबूरी का फायदा उठाते हुए अब आरओ प्लांट वालों ने इन बोतलों की कीमत भी डेढ़ गुणा तक बढ़ा दी है। पहले जिस 20 लीटर पानी के लिए लोगों को 20 रुपये देने पड़ते थे। वहीं अब 20 लीटर पानी के लिए लोगों को 30 रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं।वर्तमान में तेजी से बढ़ रहे तापमान के बीच शहर के सिविल लाइंस, आजादनगर, सिसहनिया, वन विभाग कॉलोनी समेत अन्य मोहल्लों में कई निजी नल सूख गए हैं। हालत यह है कि जहां गर्मी में लोग शुद्ध पानी के लिए तरस रहे हैं, वहीं जिले के शहर, कस्बों व गांवों में घर-घर पहुंचने वाले शुद्ध पानी के जार की कीमत 20 रुपये से बढ़कर 30 रुपये प्रति जार हो गई है। आरओ प्लांट यूनियन का कहना है कि अब घर-घर शुद्ध पानी पहुंचाना मंहगा हो गया है। उनका तर्क है कि बीते सात वर्ष से एक ही मूल्य था, जबकि महंगाई बढ़ती जा रही है। डीजल, बिजली व डिब्बे के दाम में वृद्धि के साथ ही मजदूरी बढ़ने के चलते जून माह से प्रति पानी जार पर 10 रुपये कीमत बढ़ानी पड़ी है। उपभोक्ता दिनेश कुमार, रामभरन व निजाम का कहना है कि पानी जार की बढ़ी कीमत से अब घर खर्च पर अतिरिक्त बोझ बढ़ गया है। इससे लोगों तक शुद्ध पानी की उपलब्धता मुश्किल हो रही है।

घट रहा जलस्तर, अधिकांश लोग पी रहे अशुद्ध
जल जल निगम की रिपोर्ट के अनुसार जिले में जलस्तर तेजी से घटने के कारण 120 फीट से नीचे ही शुद्ध पानी मिल रहा है। इसके ऊपर के पानी में आयरन और कीचड़ का मिश्रण पाया जा रहा है। जिले में शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र के पांच लाख से अधिक परिवारों में 3.50 लाख परिवार निजी नल का पानी पीते हैं। इनमें 60 फीसदी घर में 40 से 80 फीट नीचे तक बोर निजी नल प्रयोग किए जा रहे हैं, शेष 40 फीसदी परिवार में 60 से 110 फीट गहराई में बोर किए नल के पानी का उपयोग कर रहे है। जल निगम के एई महेश प्रसाद का कहना है कि जिले के सभी क्षेत्र में द्वितीय स्तर (सेकंड स्टेटा) 120 फीट नीचे का पानी ही पीने योग्य है। इससे ऊपर के पानी में निर्धारित मात्रा से अधिक आयरन एवं कीचड़ का मिश्रण पाया जा रहा है, जो अशुद्ध है।

शहरी क्षेत्र में नहीं हुए कार्य, गांवों में नहीं लगे हैंडपंप
जिले के सभी 11 नगर निकायों में लोगों को शुद्ध जल मुहैया कराने के लिए दो वर्ष के अंदर कोई नई परियोजना नहीं स्थापित हुई है। इससे नगर पालिका सिद्धार्थनगर एवं नगर पंचायत शोहरतगढ़ के विस्तारित क्षेत्र समेत नवसृजित पांच नगर पंचायतों में अभी पूर्व की ग्रामीण पेयजल व्यवस्था ही लागू है। जिससे इस शहरी क्षेत्र की 1.25 लाख आबादी अशुद्ध जल का उपयोग करने को मजबूर हैं। वहीं, ग्रामीण क्षेत्र में शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए सरकारी हैंडपंप ( इंडिया मार्क टू हैंडपंप) की स्थापना पांच वर्ष से बंद हो चुकी है। साथ ही इनके मरम्मत का जिम्मा ग्राम पंचायतों को सौंप दिया गया है। जिले के 1136 ग्राम पंचायतों में टेक्निकल आपरेटर नहीं होने से मरम्मत न होने के कारण जिले अधिकांश सरकारी हैंडपंप या तो खराब पड़े है अथवा दूषित जल उगल रहे है।

बोले जिम्मेदार

आरओ प्लांट स्थापित करने के लिए लघु सिंचाई विभाग की तरफ से एनओसी जारी होता है, यही विभाग इनकी माॅनीटरिंग करता है। जल्द ही अभियान चलाकर आरओ प्लांट का पंजीकरण और पानी की गुणवत्ता की जांच की जाएगी। मूल्य नियंत्रण के संबंध में इनकी बैठक कर विचार किया जाएगा।
– जयेंद्र कुमार, सीडीओ

घर-घर जार सप्लाई करने वाले आरओ प्लांट के पानी की गुणवत्ता की नियमित जांच जरूरी है, लेकिन शासन अथवा विभागीय उच्चाधिकारियों का इस संबंध में निर्देश नहीं होने के कारण जांच नहीं की जा रही है। निर्देश मिलने पर पानी जांच कर गुणवत्ता सुधार की कार्रवाई की जाएगी।
– महेश प्रसाद, एई, जलनिगम

नल से अशुद्ध पानी आ रहा है। इस कारण प्रतिदिन पानी जार खरीदना मजबूरी बन गया है। अब इसकी कीमत बढ़ने से घरेलू खर्च बढ़ जाएगा। अब शुद्ध पानी पीने को अन्य खर्च में कटौती करनी पड़ेगी।
– दीपू कसौधन, पानी उपभोक्ता, पुरानी नौगढ़

प्रति पानी जार 20 रुपये से बढ़ा 30 रुपये करने से जेब पर भार बढ़ेगा। अन्य घरेलू खर्च कम नहीं होगा, जिससे लगता है कि शुद्ध पानी का उपयोग ही बंद करना पड़ेगा।
– कुलदीप श्रीवास्तव, उपभोक्ता, सिविल लाइन

40 से अधिक प्लांट, केवल तीन पंजीकृत
जिले में 40 से ज्यादा प्लांट हैं जो पानी का दोहन कर रहे हैं। लघु सिंचाई विभाग के एई अश्वनी शुक्ला ने बताया कि 10 हजार लीटर से ज्यादा पानी का उपयोग करने वाले आरओ प्लांट को एनओसी लेने के साथ ही रजिस्ट्रेशन कराना होता है। इससे कम पानी का दोहन करने वाले प्लांट को केवल पंजीकरण कराना होता है। इसके लिए पांच हजार रुपये रजिस्ट्रेशन शुल्क निर्धारित है। पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन है।

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