सिद्धार्थनगर। बाढ़ से पहले ही प्रभावित होने वाले क्षेत्र की उन गर्भवती महिलाओं का रिकार्ड तैयार किया जाएगा। जिनका प्रसव जुलाई और अगस्त माह में होना है। स्वास्थ्य कार्यकर्ता संभावित बाढ़ प्रभावित होने वाले क्षेत्रों को भ्रमण करके उनका रिकार्ड तैयार करेंगे। इसके बाद प्रशासन और नजदीकी अस्पताल को दे दिया जाएगा। इसके पीछे उद्देश्य है कि बाढ़ आने से पहले उन्हें सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया जा सके। जिससे जच्चा और बच्चा दोनों को हानि न पहुंचने पाए।
नेपाल सीमा से सटे होने के कारण नेपाल की पहाडिय़ों से निकली नदियों से हर वर्ष जिले में बाढ़ के हालात उत्पन्न हो जाते हैं। जिले में नदियों का जाल फैला हुआ है। इससे शायद ही जिले का कोई कोना बचा हुआ हो, जहां लोग बाढ़ से प्रभावित न होते हों। नेपाल में बारिश के बाद एकाएक नदियों के जलस्तर में इजाफा होने लगा। राप्ती, बूढ़ी, राप्ती और बानगंगा खतरे के निशान से ऊपर बहने लगी थीं। हालांकि अब स्थिर हैं और जलस्तर घट रहा है। लेकिन प्रशासन हर से बाढ़ से बिगडऩे वाले हालात से निपटने के लिए तैयारी कर रहा है। जिससे कोई जन हानि न होने पाए। इसमें स्वास्थ्य विभाग भी तेजी से कार्य कर रहा है। स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार बाढ़ से पहले ही स्वास्थ्य कार्यकर्ता बाढ़ से संभावित क्षेत्र के गांवों में जाकर उन गर्भवती महिलाओं को डाटा तैयारी करके, जिनका प्रसव जुलाई और अगस्त माह में होता है। क्योंकि इन दो माह में बारिश और बाढ़ की संभावना अधिक रहती है। महिलाओं को किसी प्रकार की दिक्कत न हो और सुरक्षित प्रसव हो सके। इसके लिए डाटा तैयार करके प्रशासन और नजदीक के स्वास्थ्य को दिया जाएगा। जिससे बाढ़ से आने से पहले ही उन्हें सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया जाए। अगर किन्हीं कारणों से कोई घर से नहीं जाता है। उसकी व्यवस्था नहीं है तो उसे अलग से चिह्नित किया जाएगा। बाढ़ आने पर प्रशासन की ओर से प्राथमिकता के आधार पर सबसे पहले उन्हें ही बाहर निकाला जाएगा। इस संबंध में महामारी रोग विशेषज्ञ समीर कुमार सिंह ने बताया कि बाढ़ से निपटने के लिए पहले से ही तैयारी की जा रही है। कोई जनहानि न हो इसलिए गर्भवती महिलाओं का रिकार्ड तैयार किया जा रहा है। जिससे बाढ़ आने से पहले उन्हें सुरक्षित स्थान पर जाने के लिए जानकारी दी जा सके। जरूरत पड़ने पर अस्पताल तक पहुंचाया जा सके।