सिद्धार्थनगर। जब जब पृथ्वी पर अत्याचार बढ़ता है तब-तब उसे समाप्त करने के लिए होता ईश्वर का अवतार है। ये बातें कथावाचक सौरभ कृष्ण शास्त्री ने डुमरियागंज क्षेत्र के प्रानपुर ग्राम में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन कहीं। कथा के दौरान भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव श्रद्धा एवं उत्साह पूर्वक मनाया गया। कन्हैया लाल की जय जय कार से पूरा पांडाल गुंजायमान हो उठा।
अयोध्या के कथावाचक सौरभ कृष्ण शास्त्री ने भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष की महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि 84 लाख योनियां भुगतने के पश्चात मानव देह की प्राप्ति होती है। इसलिए इस देह को उपयोग व्यर्थ कामों में न करके जनकल्याण व ईश्वर भक्ति में समर्पित कर दे। उन्होंने कहा कि प्रभु का अवतार अत्याचार को समाप्त करने और धर्म की स्थापना के लिए होता है। जब कंस ने अत्याचार की सभी मर्यादाएं तोड़ दी अत्याचारों से मुक्ति दिलाने के लिए प्रभु श्रीकृष्ण का जन्म हुआ। यहां पर जैसे ही श्रीकृष्ण के जन्म का प्रसंग कथा में आया तो श्रद्धालु हरे राधा-कृष्ण के उदघोष के साथ भाव विभोर होकर नृत्य करने लगे। कथा के दौरान भगवान श्रीकृष्ण की जीवंत झाकियां सजाई गई, जिसे देखकर श्रद्धालु जयकारे लगाते रहे। इस अवसर पर मुख्य यजमान महेश यादव ,पूजई सैनी, राधेश्याम गिरी,रेनू,अवधराम विश्वकर्मा उपस्थित रहे।