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Siddharthnagar News: सूदखोरों से लिया कर्ज तो जेवर, जमीन बेचकर चुकाना होगा ब्याज

सिद्धार्थनगर। बेटी की शादी, मकान बनाने, बीमारी अथवा वाहन खरीदने के लिए सूदखोरों से कर्च के चक्कर पड़े तो कंगाल होना तय है। सूदखोरों से न्यूनतम 10 फीसदी प्रति माह ब्याज पर लिया कर्ज चुकाने के लिए जिले में कईयों को जेवर और जमीन तक बेचनी पड़ी। फिर भी सूदखोरों के चक्रवृद्धि ब्याज के देनदारी से उबर नहीं पाए। सूदखोरों के उत्पीड़न से कईयों के रोजगार चौपट हो गए और वह ब्याज चुकाने के चक्कर में सड़क पर आ गए।

सरकारी एवं अर्ध सरकारी बैंकों से जरूरतमंदों को विभिन्न तरह के कार्यों के लिए सस्ती ब्याज दर पर ऋण देने का प्रावधान है, फिर भी लोग तत्काल पड़ी जरूरत की पूर्ति के लिए सूदखोरों के चक्कर में फंस जाते हैं। इसके बाद शुरू होता है सूदखोरों का खेल। जिले में वर्तमान में ब्याज पर ऋण देने के लिए न तो कोई कंपनी रजिस्टर्ड है और न ही कोई व्यक्ति, फिर भी सूदखोरी का धंधा तेजी से फल-फूल रहा है। जिले में सूदखोरी का धंधा करने वालों का जाल शहर समेत सभी कस्बों में फैला हुआ है। यहां तक कि गांवों में भी ब्याज पर पैसा देकर प्रति माह सूद वसूलने का कारोबार चल रहा है। इनमें कभी-कभी विवाद होने पर ही कोई मामला पुलिस अथवा तहसील में पहुंचता है, नहीं तो सूदखोर बेहद गोपनीय तरीके से अपना कारोबार संचालित करते हैं।

जिले में चर्चित हैं सूद के कुछ धंधेबाज
वैसे तो शहर समेत गांवों तक में सूदखोरों का जाल फैला हुआ है, लेकिन कुछ सूदखोर बड़े पैमाने पर इस धंधे में संलिप्त हैं। जिले के उसका क्षेत्र के एक सूदखोर का कारोबार शहर समेत आसपास के कई कस्बों में फैला हुआ है। जरूरत पड़ने पर उससे कर्ज लेने वालों में शहर के कई बड़े लोग भी शामिल हैं। इसी तरह बांसी कस्बे में सूदखोरी का धंधा करने वाला एक व्यक्ति कई बार विवादों में फंसने के कारण चर्चा में रह चुका है।

हर हाल में समय पर चाहिए सूद
सूदखोरों के बीच कहावत है मूल भले बाद में मिले लेकिन सूद समय पर ही चाहिए, इससे उनका धंधा चोखा चलता है। अर्थात सूदखोर कर्ज दी गई धनराशि वसूलने में दिलचस्पी नहीं लेते हैं बल्कि उसका ब्याज समय पर लेने को पूरा जोर लगाते हैं। सूदखोर कर्ज देने के बदले कर्जदार से स्टांप पर जमीन अथवा मकान के संबंध में लिखित लेते है। साथ ही निर्धारित तिथि पर ब्याज लेने को वह कर्जदार के पास पहुंच जाते हैं। ब्याज लेने को पहले स्वयं हर दांव अजमाते हैं, फिर भी नहीं सुलझने पर वह अन्य हथकंडे अपनाते हैं।

केस एक- जेवर बेच चुकाया कर्ज
शहर निवासी एक व्यक्ति ने नौकरी पाने के लिए दो साल पहले सूदखोर से ब्याज पर तीन लाख रुपये लिए, जिसका डेढ़ वर्ष तक प्रति माह 30 हजार ब्याज देने में कंगाल हो गया। फिर भी ब्याज भरने में असमर्थ होने पर उसने खुद और पत्नी के गहने बेचकर सूदखोर का कर्ज चुकाया। वर्तमान में कारोबार चौपट होने से वह पूरी तरह सड़क पर आ गया है।

केस दो- जमीन बेच चुकाया कर्ज
शहर के निकट सनई क्षेत्र निवासी एक व्यक्ति ने मकान बनाने के लिए तीन वर्ष पूर्व सूदखोर से दो लाख रुपये लिए थे। ढाई वर्ष तक कर्ज चुकाते-चुकाते वह कंगाल हो गया, अंत में उसे जमीन और मकान बेचकर सूदखोर का कर्ज चुकाना पड़ा। वर्तमान में वह झोपड़ी में चाय की दुकान चलाकर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहा है।

केस तीन – सूदखोर ने लिखवा ली जमीन
शहर निवासी एक व्यक्ति ने शौक में कार खरीदने के लिए बांसी के सूदखोर कारोबारी से दो लाख रुपये कर्ज लिया था। दो वर्ष तक ब्याज देने के बाद वह कंगाल हो गया। ब्याज नहीं मिलने पर सूदखोर ने उससे पैसा वसूलने के लिए मारपीट पर आमादा हो गया। मामला पुलिस के पास पहुंचने पर सूदखोर ने कर्जदार से लिए लिखित अनुबंध के आधार उसकी जमीन रजिस्ट्री करा ली इसके बाद मामला रफा-दफा हुआ।

250 जमाकर्ताओं ने की शिकायत
जिले में चिटफंड कंपनियों में लोगों का पैसा जमा करने वालों के फरार हो जाने से कई पीड़ित धन वापस पाने के लिए भटक रहे हैं। एक कंपनी में जमा पैसा वापस पाने के लिए कई लोगों ने कलेक्ट्रेट में प्रदर्शन भी किया। । जिस पर डीएम के निर्देश पर 250 पीड़ितों ने एडीएम कार्यालय में शिकायती पत्र देकर जमा धनराशि वापस पाने की गुहार लगाई है। इनका पैसा दिलाने के लिए एडीएम कार्यालय से संबंधित कंपनी को नोटिस भेजा जाएगा।

कम ब्याज दर पर उपलब्ध है बैंक ऋण
सभी बैंकों से मकान बनाने, वाहन खरीदने आदि के लिए आठ से 10 प्रतिशत वार्षिक ब्याज दर पर ऋण सुविधा उपलब्ध है। सूदखोरों के जाल से दूर रहते हुए लोगों को जागरूक होकर इसका लाभ उठाना चाहिए।
– आरके सिन्हा, लीड बैंक मैनेजर

बिना पंजीकृत, फर्जी तरीके से सूदखोरी का धंधा करना अवैध है, अगर किसी पीड़ित ने इसकी शिकायत की तो जांचकर दोषी के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।
– डॉ. ललित कुमार मिश्रा, एसडीएम नौगढ़

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