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Siddharthnagar News: बांधों की नहीं भरी गई दरारें, जनपद में फिर बाढ़ मचाएगी तबाही

सिद्धार्थनगर। बरसात का मौसम शुरू होने में अब लगभग सिर्फ एक पखवारा ही शेष रह गया है, लेकिन बाढ़ से बचाव के लिए सरकारी महकमे में कोई हलचल नहीं दिख रही है। इस समय तक बाढ़ से बचाव के लिए 39 बांधों की मरम्मत, गैप व कटान स्थलों पर मरम्मत का काम अंतिम चरण में होना चाहिए था। वहीं, अब तक यह शुरू भी नहीं हो सका है। यह हाल तब है जब बीते वर्ष सितंबर माह में आई बाढ़ से जिले में शहर से गांव तक त्राहि-त्राहि मची हुई थी। ऐसे में इस साल भी पिछले साल के हालात सोचकर लोग चिंतित हैं।

हर वर्ष बाढ़ की तबाही झेलने वाले इस जिले के लिए सितंबर 2022 बहुत तबाही का रहा। इस माह आई बाढ़ से जिले के छह सौ गांव जलमग्न हो गए थे। जिनमें से चार सौ गांव मैरूंड थे। इससे जिले की पांच तहसील नौगढ़, बांसी, शोहरतगढ़, इटवा और डुमरियागंज की 60 हजार हेक्टेयर क्षेत्र डूबने से फसल नष्ट हो गई और पांच लाख आबादी प्रभावित रही। इस बाढ़ में सर्वाधिक 19 लोगों की मृत्यु हुई। नदियों में अधिक पानी आने से पांच स्थानों पर बांध टूटने के साथ ही कई सड़कें क्षतिग्रस्त हो गईं और कई घर ध्वस्त हो गए। इस वर्ष बाढ़ की तैयारी पर हाल यह है कि कुछ बांधों पर मरम्मत एवं कटान स्थलों पर बचाव कार्य कराए जा रहे है, लेकिन बाढ़ की विभीषिका पर नजर दौड़ाएं तो यह नाकाफी लग रहा है। बाढ़ विशेषज्ञ कहते है कि अगर बचाव का स्थायी समाधान नहीं किया जाएगा तो जिले के लोगों को बाढ़ से मुक्ति नहीं मिल सकेगी।
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बेहद कम मिला शासन से बजट
सिंचाई निर्माण खंड एवं ड्रेनेज खंड की तरफ से शासन को बांधों पर मरम्मत एवं कटान स्थलों पर बचाव कार्य के लिए दो सौ करोड़ लागत की 40 परियोजनाओं के सापेक्ष बेहद कम धन की स्वीकृति मिल सकी है। शासन की तरफ से सिंचाई निर्माण खंड के तीन सौ किमी लंबे 22 बांधों एवं नदियों किनारे स्थित 21 संवेदनशील कटान स्थलों पर मरम्मत एवं बचाव कार्य की 22 करोड़ रुपये लागत की सिर्फ 11 परियोजनाएं स्वीकृत हुई हैं। वहीं ड्रेनेज खंड की 157 किमी लंबे 17 बांधों एवं नदियों के 19 संवेदनशील कटान स्थलों पर मरम्मत एवं बचाव कार्य की 10 करोड़ रुपये की पांच परियोजना स्वीकृत हुई हैं, जो जरूरत के सापेक्ष बेहद कम है।
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कम धन आवंटन से नहीं भरे जा सके गैप
डुमरियागंज क्षेत्र में शाहपुर भोजपुर बांध में स्थित 15 गैप भरने के लिए सिंचाई निर्माण खंड से 74 करोड़ रुपये लागत की परियोजना भेजी गई थी। जिसके सापेक्ष शासन से सिर्फ 7.28 करोड़ रुपये आवंटित हुआ। विभाग का कहना है कि अभी तक पांच गैप भरे जा सके हैं, शेष पर धन आवंटन के बाद कार्य हो सकेगा। वहीं गैप नहीं भरे जाने से डुमरियागंज तहसील क्षेत्र के पेंड़ारी मुस्तहकम गांव के रामजस, पप्पू वर्मा, सोमई, राजेश, चिनकू ने बताया कि बांध का गैप भरे जाने के लिए अभी तक न मुआवजा दिया गया और न ही जमीन रजिस्ट्री हुई। इससे बाढ़ के समय क्षेत्र के कई गांवों पर खतरा मंडरा रहा है।
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शहर समेत कई कस्बों पर मंडराता है खतरा
जिले में राप्ती, बूढ़ी राप्ती, कूड़ा, बाणगंगा, जमुआर समेत कई नदियां बरसात में कहर ढाती हैं। बाढ़ के समय शहर समेत बांसी, डुमरियागंज, उसका, शोहरतगढ़ खतरे के मुहाने पर रहते हैं। शहर में जमुआर नाले का पानी कई हिस्से को प्रभावित करता है। बूढ़ी राप्ती किनारे बसे जोगिया और उसका में एनएच पर पानी चढ़ने से शहर अन्य स्थानों कट जाता है। शोहरतगढ़ और बढ़नी भी बाणगंगा नदी की चपेट में आ जाता है। जबकि राप्ती नदी के किनारे बसे बांसी कस्बा पर बांध के रिसाव से हर समय खतरा मंडराता है। वहीं राप्ती नदी किनारे बसे डुमरियागंज के लोग भी बाढ़ के समय सहमे रहते हैं।
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जर्जर बांध नहीं झेल पाएंगे बाढ़, मचेगी तबाही
बांसी। राप्ती व बूढ़ी राप्ती नदी के तट पर बने सभी बांध जर्जर है। इन बांधों के रख रखाव का कोई काम नहीं हुआ है जिससे नदी के तट पर बसे ग्रामीण चिंतित है। इनका मानना है कि यदि नदियों में उफान आया तो यह बांध पानी का दबाव नहीं झेल पाएंगे। जबकि शासन का निर्देश है कि 15 जून से पहले सभी बांधों के रखरखाव व मरम्मत का कार्य पूरा कर लिया जाय।
लगातार तीन वर्ष से बूढी राप्ती नदी के दक्षिणी छोर पर स्थित असोगवा नगवा बांध के कटने से हुई भीषण तबाही को लोग अभी भूल नहीं पाए हैं। यही हाल बूढी राप्ती व राप्ती नदी के तट पर बने असोगवा मदरहना, ककरही गोनहा, सोनखर हाटा, बांसी पनघटिया, बांसी डुमरियागंज ,डुमरियागंज बांसी बांध का है सभी बांध जर्जर हैं। पिछले साल आयी बाढ़ में सभी बांधों में दर्जनों स्थान पर रिसाव हो रहा था जिसे रोकने में विभागीय अभियंताओं, ठेकेदारों व ग्रामीणों को काफी मशक्कत करना पड़ा था। इसके बाद भी असोगवा नगवा बांध डढि़या गांव के पास टूट गया जिससे क्षेत्र में भारी तबाही हुई। इस बाढ़ में गांव के सात रिहायशी मकान बह गए तथा काफी फसल बर्बाद हुई थी। हालांकि मैरूंड के अलावा सौ से अधिक ऐसे गांव थे जो मैरूंड नहीं थे परंतु इन गांव की पूरी फसल बाढ़ में बर्बाद हो गयी थी। यह सब तबाही का मंजर देख चुके ग्रामीण काफी भयभीत है। गौरतलब बात यह है कि बांसी डुमरियागंज बाध पर ही सिचाई निर्माण खण्ड का सब डिविजन ऑफिस है और इस कार्यालय के पीछे बांध मे सैकड़ों रैनकट व रैटहोल हैं जिसे अभी तक भरा नहीं गया है। ऐसा ही हाल सभी बांधों का है। नदी के तट पर बसे इंद्रजीत, रामदास, इसहाक, रमजान, दिलीप तिवारी, भगवान दास, अर्जुन, निलेश निषाद का कहना है कि जगह-जगह चूहे व साही आदि जानवरों ने बांध को जर्जर कर दिया है कही कही बांध में रैन कट भी है। इसके बावजूद बांध के रख रखाव का कोई काम नहीं किया गया जो चिंता का विषय है। ग्रामीणों का कहना है कि कुछ बांध पर कही कही मामूली मिट्टी डाली गई है। जो ऊंट के मुंह में जीरा के समान है ।
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जहां सड़क पर गई रिक्शा चालक की जान, वहां भी नहीं हुई मरम्मत
तुलसियापुर। पिछले वर्ष सितंबर माह में आई बाढ़ में जिस बेवा-ढ़ेबरुआ मागरज़ पर बिगौवा नाले के पास कटी सड़क के पास रिक्शा चालक पत्नी व दो पुत्रियों के साथ पानी के तेज बहाव में बह गया था। उस सड़क का अभी तक निर्माण नहीं हुआ, वहां मिट्टी और ईंट के टुकड़े डालकर आवागमन हो रहा है। तुलसियापुर-कठेला मार्ग पर मटियार के पास कटी सड़क का भी निर्माण नहीं हुआ। बेवा-ढ़ेबरुआ मार्ग पर मुहचुरुवा घाट पर कटान स्थल पर कोई मरम्मत कार्य नहीं किया गया। झुलनीपुर-झुंगहवां मार्ग पर कटान का मरम्मत नहीं होने से डेढ़ वर्ष से चार पहिया वाहनों को आवागमन पूरी तरह से बंद है।
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कोट
शासन से कम धन आवंटन होने के कारण स्थानीय स्तर पर सिंचाई विभाग मनरेगा से प्रस्ताव बनाकर बाढ़ बचाव कार्य कराने में जुटा है। इसके तहत तीन सौ करोड़ से अधिक लागत से सिंचाई निर्माण खंड और ड्रेनेज खंड के कई बांधों पर मरम्मत व खड़ंजा पिचिंग के कार्य के साथ ही कटान स्थलों पर बचाव कार्य कराए जा रहे हैं। पिछले वर्ष तीन सौ किमी बांध की मरम्मत व रखरखाव के लिए मात्र 2.20 करोड़ रुपये आए थे, अर्थात प्रति किमी एक लाख रुपये भी नहीं मिले, इससे बांधों की कैसे मरम्मत संभव है।
– आरके सिंह, अधिशासी अभियंता, सिंचाई निर्माण खंड
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