सिद्धार्थनगर। इंटरमीडिएट परीक्षा पास करने के बाद छात्रों में अपने कॅरिअर चुनने को लेकर असमंजस की स्थिति बनी रहती है। प्रसेंटेज अधिक अथवा कम होने पर घर के लोग, पड़ोसी या रिश्तेदार के अनुसार बच्चे अपना कॅरिअर चुन लेते हैं, जिससे उन्हें अपना कॅरिअर बनाने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। अभिभावकों को चाहिए कि छात्र-छात्राओं को विषय चुनने की स्वतंत्रता दें ताकि भविष्य में वे कुछ अच्छा करने में ज्यादा सक्षम हों।
इंटरमीडिएट के बाद बाद बच्चों को अपने कॅरिअर को लेकर अधिक चिंता बनी रहती है। वहीं कुछ बच्चे अपने इंटरमीडिएट के अंकों के आधार पर ही छात्र अपने क्षेत्र का चुनाव तय करते हैं। कॅरिअर काउंसलर की सलाह है कि अभिभावक बच्चों पर अपनी पसंद न थोपे, बल्कि उनकी रुचि के अनुसार उनका उत्साहवर्धन करें।
बच्चे भी सही दृष्टिकोण और सूझ-बूझ से अपना कॅरिअर चुनें। अपनी रुचि के अनुसार ही क्षेत्र का चयन करें, जिससे उन्हें अपना लक्ष्य निर्धारित करने में कम समय लगे। किसी भी प्रतियोगी परीक्षा को उत्तीर्ण करने के लिए छात्रों को एग्जाम पैटर्न को समझ कर उसी के अनुसार रणनीति बनानी चाहिए। जिससे उन्हें लक्ष्य निर्धारित करने में कम समय लगे।
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छात्रों ने किया कॅरिअर के सपने बयां
मैंने इंटरमीडिएट में 81 प्रतिशत अंक हासिल किया है। नीट की तैयारी कर डॉक्टर बनना चाहती हैं। मैंने ऑनलाइन कोचिंग करना शुरू कर दी है, क्योंकि मेडिकल का क्षेत्र मुझे पसंद है।
-अंजलि रस्तोगी, छात्रा
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मैंने 95 प्रतिशत अंक लेकर कॉलेज में टॉप किया। मैं नीट का परीक्षा पास करके डॉक्टर बनना चाहती हूं, जिसके लिए मैंने पढ़ाई शुरू कर दी है। मैं डॉक्टर के रूप में कॅरियर बनाना चाहती हूं।
-इशरतजहां, छात्रा
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मेरे परिवार के लोगों ने मुझे विषय चुनने के लिए स्वतंत्र कर दिया है। मैं डॉक्टर बनना चाहती हूं इसलिए बिना देर किए ही मैंने तैयारी शुरू कर दी है। इंटर में बायोलॉजी से पढ़ना पसंद थी। मेडिकल शिक्षा में ज्यादा सफल रहूंगी।
-सुप्रिया
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मैंने इंटरमीडिएट में 87 प्रतिशत अंक हासिल किया है। ग्रेजुएशन कर सिविल सर्विसेज की तैयारी करना चाहते हूं।मुझे इतिहास पढ़ना बेहद पसंद है, जो प्रतियोगी परीक्षाओं में ज्यादा उपयोगी है।
-दुर्गेश प्रसाद जायसवाल
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एक्सपर्ट की राय
कॅरिअर काउंसलर मोहम्मद अरशद का कहना है कि इंटरमीडिएट के बाद सबसे बड़ी समस्या होती है कि वह किस क्षेत्र में जांए। छात्रों को चाहिए कि वह अपनी पकड़ के अनुसार ही अपने क्षेेत्र का निर्धारण करें। आज के समय में प्रतियोगी परीक्षा का क्रेज अधिक है। युवाओं को पढ़ने के लिए बहुत सी कोचिंग कक्षाएं चलाई जा रही है। उनके लिए मुख्यमंत्री अभ्युदय नि:शुल्क कोचिंग योजना भी शामिल है।
माता-पिता या अभिभावकों के अनुसार कभी भी अपना कॅरिअर न चुनें अक्सर देखा जाता है कि 80 प्रतिशत से अधिक अंक आने पर बच्चों से बड़े परीक्षाओं के लिए प्रेशर बनाते है। वहीं छात्र अपने मन से क्षेत्र का चयन कर तो लेते हैं। लेकिन अच्छी सूझ-बूझ और रणनीति न होने के कारण भी असफल हो जाते हैं।
जीवविज्ञान के प्रवक्ता डॉक्टर विवेक मणि त्रिपाठी ने बताया कि जीव विज्ञान से पढ़ कर नीट की तैयारी करने वाले छात्रों को पढ़ने के लिए बहुत रास्ते हैं। वे इंटर के बाद बी फार्मा, डी फार्मा, नर्सिंग, लैब टेक्नीशियन का आदि कोर्स कर सकते हैं। छात्रों को एग्जाम का पैटर्न समझना और लक्ष्य के उद्देश्य को समझना उसे सफल करने के लिए कड़ी मेहनत की आवश्यकता होती है। छात्र को अपने लक्ष्य के प्रति हमेशा सचेत रहना चाहिए।