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Siddharthnagar News: इस बार भी जीत-हार तय करने में लग रहा मुंबई का चंदा

सिद्धार्थनगर। नगर निकाय चुनाव में प्रत्याशियों की जीत और हार का समीकरण बनाने-बिगाड़ने में मुंबई से आने वाले चंदे की चर्चा तेज हो गई है। मतदान का दिन नजदीक आने के साथ डुमरियागंज का सियासी समीकरण और भी उलझता जा रहा है। बताया जा रहा कि कई मजबूत ध्रुवों में बंटी डुमरियागंज की सियासत में मुंबई में बैठे रणनीतिकारों की इंट्री हो गई है।

सूत्रों के अनुसार मुंबई से आए चंदे की रकम का इस्तेमाल एक ओर जहां चहेते प्रत्याशी को जिताने के लिए किया जा रहा है, तो वहीं दूसरी ओर किस प्रत्याशी को नहीं जीतने देना है, इस मुहिम में भी चंदे की रकम खर्च की जा रही है।

राजनीति का गढ़ कहे जाने वाले डुमरियागंज में चुनावी सरगर्मी पूरे जोर पर है। पिछले निकाय चुनाव में मैदान में उतरे प्रत्याशी इस बार भी मैदान में है। फर्क सिर्फ इतना है महिला के लिए सीट रिजर्व होने के नाते अबकी बार वह अपने घर की महिलाओं के सहारे, जीत दर्ज करने की कोशिश कर रहे हैं। भाजपा के टिकट से बीना देवी, सपा से कहकशां परवीन, बसपा से शाजिया अतीक और कांग्रेस से मीना देवी चुनाव लड़ रही हैं। इन सारे दावेदारों के बीच भाजपा से बागी हुए श्याम सुंदर अग्रहरि ने अपनी मां सुशीला देवी को मैदान में उतार कर सबके चुनावी समीकरण को बिगाड़ दिया है। पिछले निकाय चुनाव में भाजपा से टिकट न मिलने पर बगावत कर चुनाव लड़ चुके श्याम सुंदर अग्रहरि, दूसरे स्थान पर रहे थे, जबकि बसपा के जफर अहमद ने जीत दर्ज की थी।
इस बार जफर अहमद पाला बदलते हुए सपा के टिकट से अपने छोटे भाई की पत्नी कहकशां परवीन को चुनाव लड़ा रहे हैं। जबकि पिछले चुनाव में सपा से चुनाव लड़े अतीकुर्रहमान ने बसपा का दामन थाम कर अपनी पत्नी शाजिया अतीक को चुनावी मैदान में उतारा है । मजबूत प्रत्याशियों की उपस्थिति के चलते पहले से उलझी डुमरियागंज की सियासत को मुंबई कनेक्शन ने और भी जटिल बना दिया है। बता दें कि क्षेत्र के काफी संख्या में लोग मुंबई में रहते हैं और आर्थिक रूप से बेहद संपन्न होने के कारण स्थानीय राजनीति को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं। जानकारों के अनुसार मुंबई में बैठे यह लोग चहेते प्रत्याशियों को हर तरह से मदद करने के साथ इस रणनीति पर भी पूरी शिद्दत से काम करते हैं कि किस प्रत्याशी को जीतने नहीं देना है। इसके लिए मुंबई में चुनाव के समय इन प्रभावशाली लोगों की बाकायदा गोपनीय मीटिंग होती है, जिसमें चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों के साथ क्षेत्र के अन्य तमाम राजनीतिक लोगों की मौजूदगी होती है।

डुमरियागंज क्षेत्र में चुनाव के समय असली घमासान मुंबई में रणनीति बनने के बाद ही मचता है। मीटिंग में शामिल हुआ एक खेमा तय प्रत्याशी को जिताने की मुहिम में जुट जाता है, तो दूसरा खेमा किस प्रत्याशी को जीतने नहीं देना है इस अभियान में लग जाता है। पिछले विधान सभा चुनाव की तरह निकाय चुनाव में भी मुंबई से तय की गई प्लानिंग साफ नजर आ रही है और दोनों खेमे तय रणनीति पर पूरी शिद्दत से काम पर लगे हैं। यही वजह है कि मतदान की तारीख नजदीक आने के साथ ही डुमरियागंज में नेताओं के बीच जुबानी जंग बढ़ती जा रही है। फिलहाल डुमरियागंज के निकाय चुनाव में विधान सभा चुनाव जैसी तल्खी देखी जा रही है और मुंबई कनेक्शन ने सियासी तापमान पूरे उरोज पर पहुंचा दिया है।