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Siddharthnagar News: पति-पत्नी के रिश्तों में खटास से टूट रहे परिवार, पिस रहा बचपन

सिद्धार्थनगर। पति-पत्नी का रिश्ता सात जन्मों का माना जाता है लेकिन समाज के बदलते ताने-बाने के कारण वर्तमान में यह एक जन्म भी नहीं टिक पा रहा है। छोटी-छोटी बातों पर पति-पत्नी लड़-झगड़कर अलग हो जा रहे हैं। उनके झूठे आत्मसम्मान की लड़ाई में उनके बच्चों का जीवन बर्बाद हो रहा है। खेलने की उम्र में तनाव और मां-बाप की दूरी से उनके जीवन पर बुरा असर पड़ रहा है।

इन रिश्तों के टूटने की कोई बड़ी वजह भी नहीं है। कहीं लंबे समय तक फोन पर बात तो कहीं परिवार का आदन नहीं करना, तो कहीं बात नहीं सुनने मात्र के आरोप पर रिश्तों को लोग ठुकरा दे रहे हैं। ऐसा भी मामला पहुंच रहा है, जहां आवाज मोटी और पतली होने पर लोग रिश्ता तोड़ने से परहेज नहीं कर रहे हैं। इन टूटते रिश्तों की कड़ी को जोड़ने के लिए किरण का कार्य महिला थाने की पुलिस कर रही है। पर मामूली बात पर टूटता हुआ रिश्ता समाज के लिए चिंता जनक है। इस प्रकार के केस 15 से 20 केस महिला थाने पर हर माह पहुंच रहे हैं। समाजशास्त्री इसे मानवता का क्षरण बता रहे हैं।
आवाज मोटी है यह कहकर पति ने छोड़ा

डुमरियागंज थाना क्षेत्र के एक गांव निवासी एक महिला को उसके पति ने शादी के कुछ ही दिन बाद छोड़ दिया। उसका आरोप था कि पत्नी की आवाज मोटी है जो उसे पसंद नहीं है। इसलिए पत्नी को साथ नहीं सकता। तीन बार महिला थाने में मामला पेश हुआ। जब नहीं माना तो पुलिस को थक-हारकर केस दर्ज करना पड़ा।

रंग सांवला होने के कारण नहीं रख रहा था पति

त्रिलोकपुर थाना क्षेत्र के एक गांव में शादी करके गई महिला को उसके पति ने रखने से इनकार कर दिया। इसके पीछे की वजह रंग सांवला होना बताया। जब महिला थाने पर मामला पहुंचा और दोनों पक्ष को आमने- सामने बैठाया गया तो लड़के ने कहा कि शादी के वक्त रंग पहचान में नहीं आ रहा था। धोखा देकर काली से शादी करा दी गई। फिलहाल चार बार महिला थाने पर बुलाया गया। कार्रवाई की धमकी दी गई, तब जाकर माना, इसके बाद लेकर गया।

फोन पर बात करने से नाराज हो गया पति, छोड़ा

बृजनमनगंज थाना क्षेत्र के एक गांव निवासी एक महिला ने महिला थाने में प्रार्थना पत्र देकर बताया उसका पति उसे प्रताड़ित कर रहा है। उसे छोड़ रहा है। जब दोनों पक्ष को आमने- सामने बैठाया गया तो पति ने कहा कि यह किसी गैर व्यक्ति से बात करती है। इसके साथ नहीं रहूंगा। वहीं, लड़की ने कहा कि वह अपने मायके में मां और भाभी से बात करती है। दोनों को थाने पर कई बार बुलाया गया। रिश्तों का हवाला दिया गया। फिर फोन कम करने पर बात बनी। तब जाकर लड़की को लेकर गया।

शादी के सात साल बाद हो गए अलग

डुमरियागंज थाना क्षेत्र के एक गांव का मामला आया। जिसमें दंपती सात साल से अलग रह रहे थे। उनके पास दो बच्चे भी हो गए थे। लड़का और लड़की पक्ष दोनों के परिवार परेशान हो गए थे। वहीं, बच्चे भी माता और पिता के रिश्तों को लेकर तनाव में रहने लगे थे। मामला थाने पर आया तो चरित्र पर पति सवाल उठाने लगा। बाद में बच्चों के भविष्य का हवाला महिला पुलिस ने दिया। इसके बाद दोनों माने और साथ रहने को राजी हुए।

हर माह 50 दंपती पहुंच रहे थाने

महिला थाने से मिली जानकारी के अनुसार हर माह दंपती के विवाद के लगभग 50 मामले पहुंच रहे हैं। इसमें लगभग 20 मामले ऐसे होते हैं जो कोर्ट में चल रहे होते हैं। उन्हें लौटा दिया जाता है, जबकि 30 मामलों में समझा बुझाकर सुलह समझौता कर दिया जाता है।

फोन पर बात को लेकर बढ़ रही दूरी

महिला पुलिसकर्मी के मुताबिक अधिकांश मामले ऐसे आते हैं, जिसमें फोन पर बात करने को लेकर पति और पत्नी का विवाद रहता है। या तो रिश्ते पर शक करने की बात रहती है या फिर ससुराल की हर बात मायके में पहुंचाने की शिकायत रहती है। इसी पर दंपती लड़ता है। कहीं न कहीं फोन पर होने वाली बात से अधिक विवाद बढ़ रहा है।

बोले जिम्मेदार

दंपती के विवाद के मामले में पहले भी आते थे, लेकिन मौजूदा समय में यह बढ़ गए हैं। कारण कोई किसी की सुनने को राजी है ही नहीं। सुनने और बर्दाश्त करने की क्षमता कम हो गई है। पति पत्नी पर शक कर रहा है और पत्नी पति पर शक कर रही है। फोन पर घंटों बात का होना। इस पर एक-दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप फिर रिश्ता तोड़ने वाली बात आ जाती है। फिर भी थाने में जो भी मामले आते हैं, उन्हें सुलझाने का पूरा प्रयास किया जाता है। कई जटिल मामले यहां सुलझ जाते हैं

– मीरा चौहान, थानाध्यक्ष, महिला थाना

मानवता का क्षरण रिश्तों में दरार का कारण

आधुनिकता युग में हर कोई अपने को बदलना चाह रहा है। बदलने के चक्कर में लोग रीति-रिवाज को भूलकर पश्चिमी सभ्यता को अपना रहे हैं। जिसमें परिवार का एक-दूसरे पर कोई नियंत्रण नहीं होता है। यही वजह है कि शादी के कुछ ही दिन बाद रिश्ते टूट जा रहे हैं। यह कहीं न कहीं मानवता का क्षरण है। इसके लिए सभी को जागरूक होने की जरूरत है नहीं तो आने वाले दिनों में हालात और बिगड़ेंगे।

– डॉ. रघुवर प्रसाद पांडेय, समाजशास्त्री, महिला पीजी कॉलेज, बस्ती

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