सिद्धार्थनगर। अपनी जागरुकता से लोग खुद को लेब्राडोर और जर्मन शेफर्ड जैसे विदेशी श्वानों से तो बचा ले रहे हैं, लेकिन हर गली-मोहल्ले में खुला घूमने वाले देसी कुत्ते ज्यादा खूंखार साबित हो रहे हैं। जिले में हर दिन 55 से 60 लोग कुत्तों के हमलों के शिकार हो रहे हैं। पशु चिकित्सा विभाग में कुत्तों को वैक्सीन लगाई जा रही है, जबकि नगर पालिका परिषद ने शहर में पंजीयन भी नहीं शुरू किया है। गली-गली बच्चों और लोगों को अपना शिकार बना रहे देसी कुत्तों पर अंकुश लगाने के लिए कोई योजना नहीं बनाई जा रही है। विदेशी से ज्यादा इन दिनों देसी कुत्ते खूंखार दिखाई दे रहे हैं। इसका अंदाजा मेडिकल कॉलेज और स्वास्थ्य केंद्रों के रिकॉर्ड से लगा सकते हैं। यहां रोजाना 50 से ज्यादा लोग एंटी रैबीज वैक्सीन लगवाने पहुंच रहे हैं। इनमें 25 से 30 फीसदी संख्या बच्चों की है।
उमस भरी गर्मी और बदलते मौसम में कुत्ते कटखने और खतरनाक हो गए हैं, इसलिए समझदारी इसी में है कि नगर पालिका के भरोसे रहने के बजाय इन दिनों अपना और बच्चों का ख्याल रखें। शहर की सड़कों पर रात में अगर निकल रहे हैं, तो थोड़ा सतर्क रहिए। कुत्ते कभी भी हमला कर सकते हैं। अगर बाइक से हैं तो हादसे के शिकार भी हो सकते हैं। बृहस्पतिवार को मेडिकल कॉलेज में 16 मरीज वैक्सीन लगवाने पहुंचे थे, इनमें 6 बच्चे थे, जबकि जिले की सीएचसी पीएचसी में हर दिन 40 से 45 लोगों को कुत्तों के हमला से लहूलुहान हो रहे हैं। दरअसल, शहर की तंग गलियों से लेकर प्रमुख सड़कों पर आवारा कुत्तों ने डेरा जमा लिया है। इनकी संख्या इतनी ज्यादा होती है कि अगर सावधान नहीं रहे तो चार-पांच कुत्ते पीछे लग जाएंगे। अगर इनसे किसी तरह बचे तो वे आगे की टोली को आवाज देकर संकेत दे देते हैं। फिर झुंड में हमला कर देते हैं। इनके हमलों से कई बार बाइक सवार अनियंत्रित होकर गिर जाते हैं। चोटिल हो जाते हैं। नगर पालिका परिषद सिद्धार्थनगर के ईओ मुकेश चौधरी ने बताया कि शहर में जल्द ही कुत्तों का पंजीयन शुरू किया जाएगा।