सिद्धार्थनगर। डुमरियागंज तहसील क्षेत्र से होकर जाने वाले करीब 40 किलोमीटर लंबे शाहपुर-भोजपुर बांध का निर्माण अभी तक नहीं हो सका है। वहीं पिछले वर्ष आई बाढ़ में खराब हुई फसलों का मुआवजा भी किसानों को नहीं मिल सका है। इससे किसान चिंतित हैं। उनका कहना है कि न तो बांध का निर्माण हुआ और न ही बांध बनाया गया। फिर इस साल बाढ़ की तबाही झेलनी पड़ेगी। ऐसे में धान की रोपाई कैसे करें, डर लगा हुआ है। वहीं जिम्मेदार इस समस्या से बेखबर बने हुए हैँ।
बोले किसान
हमारे खेत से हो कर जाने वाली शाहपुर-भोजपुर बांध का निर्माण कार्य रोका गया है। अभी हमारे जमीन की ना रजिस्ट्री कराई गई और ना ही मुआवजा मिला है। जमीन की कीमत इस समय सात लाख से ऊपर है। मगर विभाग केवल करीब साढ़े पांच लाख ही दे रहा है। जब तक हमें मौजूद दाम के अनुसार मुआवजा नहीं मिलेगा, हम अपनी जमीन की रजिस्ट्री नही करेंगे।
– राजेश चौधरी, निवासी, पेंड़ारी मुस्तहकम
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पिछले साल बाढ़ में करीब तीन एकड़ पूरी तरह धान की फसल खत्म हो गई थी। सरकार ने मुआवजा की घोषणा की मगर प्रशासनिक लापरवाही के कारण अभी तक मुआवजा नहीं मिला। जिससे इस साल धान के फसल को लगाने से डर लगता है। कहीं फिर न सारे अरमानों पर पानी फिर जाए।
– मनीष पांडेय, निवासी गोपिया
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बाढ़ की तबाही में बर्बाद हुए धान की फसल का मुआवजा अब तक नहीं मिला। किसी तरह जैसे तैसे कर्ज लेकर गेहूं के फसल की बुवाई कराई, मुआवजे की राशि आ जाए तो दुकानदार को खाद बीज का भुगतान कर देंगे। मगर अभी तक बाढ़ मे बर्बाद हुए धान के फसल का मुआवजा नहीं मिला।
– पप्पू चौधरी, निवासी पेंड़ारी मुस्तहकम
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अधूरे शाहपुर-भोजपुर बांध के कारण इस बार भी बाढ़ की तबाही झेलना पड़ेगी। पिछले साल खराब हुई धान की फसल का मुआवजा नहीं मिला। सरकार ने कुछ किसानों के खाते में मुआवजा राशि भेज कर मुआवजा देने का ढिढ़ोरा पीट रही है। जबकि बहुत से किसान गेहूं के फसल का बीज, खाद लेकर दुकानदारों के कर्ज तले दबे हैं।
प्रेम प्रकाश पांडेय, निवासी गोपिया
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बोले अधिकारी
बाढ़ में किसानों के नुकसान हुए धान की फसल का मुआवजा, लेखपाल की ओर से प्रेषित रिपोर्ट के आधार पर किसानों को दिया जा चुका है।
– अरुण वर्मा, तहसीलदार डुमरियागंज