सिद्धार्थनगर। माधव प्रसाद त्रिपाठी मेडिकल कॉलेज में एक व दो जुलाई को निश्चेतना विशेषज्ञ कोई भी डॉक्टर नहीं रहेंगे। इस कारण दो दिन इमरजेंसी सर्जरी कैसे होगी, यह बड़ा प्रश्न है। ऐसे में सर्जरी के मरीजों को रेफर करने की नौबत आई तो उनकी जान खतरे में पड़ सकती है।
मेडिकल कॉलेज में इन दिनों बेहोशी के दो ही डॉक्टरों के भरोसे सर्जरी की जा रही है। इनमें डॉ. एससी प्रसाद 30 जून को रिटायर हो जाएंगे, उसके बाद डॉ. विजय दुबे ही इकलौते डॉक्टर बचेंगे। उसके बाद चार विभागों की सर्जरी के साथ इमरजेंसी सर्जरी का काम भी उनकी मौजूदगी में ही होगा। डॉ. विजय दुबे पहले से ही दो जुलाई तक अवकाश पर हैं, जबकि डॉ. एससी प्रसाद 30 जून को चले जाएंगे। सबसे बड़ी चुनौती है कि इन दो दिनों में इमरजेंसी सर्जरी कैसे होगी?
आए दिन टाली जाएगी सर्जरी
मेडिकल कॉलेज में बेहोशी के एक ही डॉक्टर रहेंगे तो आए दिन सर्जरी टालने की नौबत आएगी। चर्चा है कि सर्जन पहले से मरीज को सर्जरी के लिए तैयार रखेंगे। जांचें हो चुकी हाेंगी और मरीज खाली पेट सर्जरी के लिए मानसिक रूप से तैयार होगा, उसी दौरान इमरजेंसी सर्जरी का कॉल आएगा तो बेहोशी के डॉक्टर को जाना होगा। जिले में मेडिकल कॉलेज ही एक ऐसा अस्पताल है, जहां नियमित सर्जरी होती है। आलम है कि सीएचसी में सिजेरियन डिलीवरी भी सिर्फ गिनाने और बताने के लिए हो रही हैं, क्योंकि सीएमओ कार्यालय के अधीन भी बेहोशी के डॉक्टरों का अभाव है। स्त्री व प्रसुति रोग विभाग में एक सप्ताह में 20 से 25 सिजेरियन डिलीवरी होती है, इनमें 3-4 केस इमरजेंसी होती है। इसी प्रकार जनरल सर्जरी में 30 से 40, आर्थो में 15 से 20, ईएनटी में 10से 15 एवं आई में 5 से 8 सर्जरी होती है। इन विभागों में एक ही बेहोशी के डॉक्टर रहेंगे तो मुश्किलें बढ़ जाएंगी।
पहले थे बेहोशी के पांच डॉक्टर
जब संयुक्त जिला अस्पताल मेडिकल कॉलेज का हिस्सा नहीं था तो बेहोशी के पांच डॉक्टर थे और मरीजों की संख्या भी आज की अपेक्षा कम थी। एक साल पहले डॉ. अवधेश पासवान का स्थानांतरण हो गया, उसके बाद डॉ. एससी प्रसाद एवं डॉ. विजय दुबे ही बचे, जबकि इसके पहले दो डॉ. आरबी राम एवं डॉ. एसके सिन्हा रिटायर हो गए थे। जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज में बेहोशी के डॉक्टरों के तीन-तीन पद हैं, जिसमें मात्र एक ही डॉक्टर बचेंगे।
माधव प्रसाद त्रिपाठी मेडिकल कॉलेज में बेहोशी के डॉक्टरों की नियुक्ति के लिए दस बार पत्र लिखा जा चुका है। फिर से पत्र भेजे गए हैं। डॉक्टरों की नियुक्ति की कोशिश भी जा रही है।
डॉ. एके झा, प्रभारी प्राचार्य