सिद्धार्थनगर। सरकार के प्रयासों के बावजूद सरकारी कार्यालयों में उद्योग को बढ़ावा देने वाली फाइलों को दबाया जा रहा है। इन्वेस्टर्स समिट के लुभावने वादों के बावजूद भी उद्योग का पहिया सरकारी दलदल में फंसा हुआ है। जिले में उद्योग की नींव डालने की कवायद शुरू होने के पांच माह बाद भी कोई मध्यम या भारी उद्योग आकार नहीं ले सका है, जबकि लघु एवं सूक्ष्म औद्योगिक इकाइयां शुरू करने की राह भी आसान नहीं है।
बचाना चाहते हैं कालानमक की खुशबू
इन्वेस्टर्स समिट में 2.5 करोड़ रुपये से उच्च तकनीकी की राइस बनाने का प्रोजेक्ट का अनुबंध किया था। इसमें कालानमक धान की बेहतर ढंग से कुटाई करनी है ताकि चावल कम गर्म हो और खुशबू उड़ने न पाए। एचडीएफसी में दो करोड़ रुपये के लोन का आवेदन किया है, लेकिन चार माह बाद भी लोन स्वीकृत नहीं हुआ है। 60 दिन के अंदर लोन मिल जाना चाहिए था।
अब्दुल रब, उद्यमी
बिना गारंटी के लोन नहीं मिला मैंने गिर नस्ल की गोशाला और सीमेन का प्रोजेक्ट शुरू करने का अनुबंध किया है। सेंट्रल बैंक में 4.5 करोड़ रुपये के लोन का आवेदन किया है, लेकिन लोन स्वीकृत नहीं किया जा रहा है। एमएसएमई के अंतर्गत पांच करोड़ रुपये तक लोन में क्रेडिट गारंटी का नियम नहीं है, इसके बावजूद भी बैंक से बिना गारंटी के लोन नहीं मिल रहा है और बैंक अधिकारी आवेदन निरस्त करते हुए जवाब भी नहीं दे रहे हैं।
राजेश बोरा, उद्यमी
सीबीजी प्लांट और इंजीनियरिंग कॉलेज
जिले में उद्योग की दरकार है। यहां के पांच लाख से अधिक लोग प्रवासी हैं। उद्योग लगेगा तो विकास होगा, जबकि स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। राजेश बोरा ने जिलाधिकारी संजीव रंजन को पत्र देखकर 20 एकड़ जमीन उपलब्ध कराने की मांग है। जमीन मिल जाए तो वे सीबीजी प्लांट एवं बॉयो कोल प्रोजेक्ट शुरू करेंगे, जबकि जिले में एक भी बॉयोगैस पंप नहीं है, इस कारण पेट्रोल व डीजल के सहारे ही वाहन चलते हैं। अप्रवासी भारतीय काजी मुख्तार अहमद ने इंजीनियरिंग कॉलेज के लिए जमीन मांगी है,जबकि जिले में एक भी इंजीनियरिंग कॉलेज नहीं है।
कोट
इन्वेस्टर्स समिट में अनुबंध करने वाले उद्यमियों के साथ बैठक करेंगे, जिसमें बैंक लोन सहित सभी समस्याओं के समाधान पर संवाद किया जाएगा। जो भी समस्याएं हैं, उन्हें दूर किया जाएगा। उद्योग के लिए जमीन की तलाश की जा रही है। उद्यमियों को हर संभव सहयोग किया जाएगा।
– संजीव रंजन, जिलाधिकारी