सिद्धार्थनगर। साइबर ठगी के मामले जनपद में लगातार बढ़ रहे हैं। ठग अब एसएसबी जवान बनकर लोगों को फोन कर रहे हैं। सैनिक होने की बात सुनकर लोग ठगों के झांसे में आसानी से आ जा रहे हैं। जालसाज कहीं खून जांच के लिए नाम पर तो कहीं सब्जी पहुंचाने के नाम लोगों के बैंक खाते से रकम उड़ा दे रहे हैं। जनपद मुख्यालय में ऐसे दो मामले आए, जिनमें खुद को एसएसबी का जवान बताकर पैथालॉजी संचालक को फोन किया गया। कुछ देर की बातों के बाद संचालकों को भरोसे में लिया और बैंक की डिटेल जुटाकर कुछ ही मिनटों में खाते खाली कर दिए।
ऑनलाइन बैंकिंग और लेनदेन बढ़ने के साथ ही साइबर अपराध बढ़ गया है। हर साल साइबर अपराध के मामलों में बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। तमाम तरीकों से लोगों के बीच जागरूकता के प्रयास के बीच साइबर अपराधी लोगों को ठगने के नए-नए तरीके खोज निकाल ले रहे हैं। अब ठग क्षेत्र देखकर ठगी का प्लान तैयार कर रहे हैं। जनपद में एसएसबी 43वीं वाहिनी का सीमा मुख्यालय है। वहीं, मुख्यालय के अलावा शहर और भारत-नेपाल सीमा पर जवान तैनात हैं। जिन पर स्थानीय लोगों को भरोसा भी है। इसी भरोसे का फायदा उठाकर अब साइबर ठग लोगों की गाढ़ी कमाई उड़ा रहे हैं।
खून जांच के नाम पर खाते से उड़ाए दो लाख रुपये
नगर में स्थित एक पैथालॉजी संचालक के पास फोन आया। फोन करने वाले ने खुद को एसएसबी का जवान बताया और 100 जवानों के रक्त की जांच कराने की बात कही। ई- बैंकिंग के माध्यम से पहले खाते में 100 रुपये भेजकर जानकारी पुख्ता की। इसके पैथालॉजी संचालक को भरोसे में लेकर ओटीपी ले लिया। इसके बाद तीन बार में खाते से दो लाख रुपये उड़ा दिए। एक लाख रुपये साइबर सेल की मदद से वापस मिल पाए।
दो बार में उड़ा दिए 95 हजार रुपये
नगर कलक्ट्रेट रोड पर संचालित होने वाले एक पैथालॉजी संचालक के पास फोन आया। फोन करने वाले ने बताया कि वह एसएसबी का जवान है। उसकी कंपनी के जवान कहीं जा रहे हैं। जिसके लिए उनके ब्लड की जांच जरूरी है। बैंक खाता नंबर मांगा। इसके बाद 500 रुपये खाते में भेज दिया। विश्वास होने पर एक लिंक मोबाइल पर भेजा। लिंक पर क्लिक करते ही 95 हजार रुपये खाते से उड़ा दिए।सब्जी की खेती करने वाले को लगा दिया चूना
ढेबरुआ थाना क्षेत्र में सब्जी की खेती करने वाले व्यक्ति के पास फोन आया। फोन करने वाले ने खुद को एसएसबी जवान बताया। सब्जी वाले से बोला कि सब्जी चाहिए। हमेशा के लिए सप्लाई करनी है। तुम्हारी अच्छी आमदनी होगी। झांसे में सब्जी विक्रेता आ गया। तीन बार में उसके खाते से 16 हजार रुपये कट गए।
बदला ठगी का तरीका
साइबर ठग अकसर एटीएम कार्ड के पिनकोड और अन्य माध्यम से ठगी करते थे। मगर इस बार ठगी का तरीका बदल दिया है। कभी सेना का जवान बनकर तो कभी कुछ और बनकर बात करते हैं। इसके बाद उल्टा बैंक खाते में रुपये भेजते हैं। विश्वास होने पर खाते से राशि उड़ा देते हैं।
पांच माह में दर्ज हुए इतने केस
आंकड़ों पर नजर डालें तो जिले में साइबर अपराध के एक जनवरी से 31 मई तक साइबर ठगी के 33 केस दर्ज हुए हैं। लगभग 30 लाख रुपये ठगों ने उड़ाए हैं। इनमें साइबर सेल की टीम अब तक 12.30 लाख रुपये वापस करवा चुकी है। शेष की कार्रवाई में लगी है।
जितनी जल्द सूचना, रिकवरी की उम्मीद उतनी ज्यादा
अगर ऑनलाइन ठगी के शिकार होते हैं तो तत्काल नजदीक के थाने में सूचना दर्ज कराएं और साइबर सेल को जानकारी दें। क्योंकि जितनी जल्दी सूचना देेंगे, रकम वापस होने की उम्मीद उतनी ही अधिक। कारण साइबर अपराधी रुपये एक स्थान पर नहीं रखते हैं एक से दूसरे और कई खातों में धन ट्रांसफर कर देते हैं। ऐसे में धन वापस हो पाना कठिन हो जाता है।
हर व्यक्ति के हाथ में स्मार्टफोन है। अधिकांश लोग नेट बैंकिंग का कार्य मोबाइल से ही कर रहे हैं। इसलिए साइबर अपराधी आसानी से अपराध कर रहे हैं। क्योंकि बैंक खाते से आधार और पैन लिंक है। ऐसे में कोई लिंक या फिर ओटीपी नंबर भेजकर वह खाते से रुपये उड़ा ले रहे हैं। इसलिए किसी भी नंबर से फोन आए, किसी को खाता नंबर या फिर आधार नंबर शेयर न करें। अगर शक हो तो तत्काल पुलिस और साइबर सेल को सूचना दें। जिससे आप तो सुरक्षित रहेंगे, सामने वाला भी बच जाएगा।
अतुल कुमार चौबे ,एक्सपर्ट, साइबर सेल सिद्धार्थनगर
बैंक किसी के पास नहीं करता है फोन
बैंक शाखा की ओर से किसी खाताधारक को फोन नहीं किया जाता है। अगर फोन के जरिए एटीएम या फिर खाता संबंधित अगर कोई जानकारी मांगी जाती है तो समझिए फर्जी है। अगर किसी उपभोक्ता के पास ऐसा फोन आता है तो बिना कोई सूचना दिए बैंक पर संपर्क करें। नहीं तो ठगी का शिकार हो सकते हैं।
– आरके सिन्हा, लीड बैंक मैनेजर सिद्धार्थनगर
बोले अधिकारी
साइबर अपराध से बचाव के लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है। साइबर सेल की टीम विद्यालय और अन्य स्थानों पर जाकर लोगों को साइबर ठगी क्या है, इससे कैसे बचें इसके बारे में बता रही है। इसके साथ ही जिन मामलों में केस दर्ज हो रहा है, उनमें टीम रिकवरी भी कर रही है। लोगों के बैंक खाते में धनराशि वापस कराई जा रही है।
– अमित कुमार आनंद, पुलिस अधीक्षक सिद्धार्थनगर