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Siddharthnagar News: दस साल बाद सिद्धार्थ विश्वविद्यालय लेगा मुकम्मल आकार

सिद्धार्थनगर। सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु अपनी स्थापना के दस साल बाद अब मुकम्मल आकार लेगा। बीते एक साल साल से अथक प्रयास के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के मानक के अनुसार जमीन पूरी करने में कामयाबी मिली है। विश्वविद्यालय ने 23 किसानों को सहमत करके आठ एकड़ जमीन की रजिस्ट्री करा ली है। अब विश्वविद्यालय की जमीन 50 एकड़ से अधिक हो गई है, जबकि कुछ माह बाद ही 68 एकड़ जमीन हो जाएगी। इस बड़ी सफलता से शोध सहित अन्य कार्यों के लिए अनुदान प्राप्त होगा, जबकि विदेशी कैंपस खोलने में भी जमीन की कमी आड़े नहीं आएगी।

वर्ष 2013 में सिद्धार्थ विश्वविद्यालय की स्थापना हुई थी और 2015 में वाणिज्य की कक्षाएं शुरू हुईं थीं। शुरुआती दौर में उपलब्ध 46.4 एकड़ जमीन में विश्वविद्यालय की नींव पड़ी। विश्वविद्यालय में वाणिज्य, कला व विज्ञान संकाय की कक्षाएं संचालित होने लगीं और परिसर में छात्र-छात्राओं की संख्या 1300 हो गई, लेकिन विश्वविद्यालय परिसर मानक से छोटा होने के कारण यूजीसी से 12 बी का प्रमाण पत्र नहीं मिला था, इस कारण विश्वविद्यालय के विकास में समस्याएं आ रहीं थीं।

अब होंगे ये काम
शोध प्रोजेक्ट मिलेंगे, शिक्षकों को अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में भाग लेने के लिए आर्थिक योगदान, यूजीसी से रिसर्च, इंफ्रास्ट्रक्चर, नए व इनोवेटिव कोर्स शुरू करने के लिए अनुदान,क्षेत्र व भाषा के आधार पर स्किल्ड प्रोग्राम में मदद मिलेगी।

सात सदस्यीय टीम ने किया कार्य
कुलपति प्रो. हरि बहादुर श्रीवास्तव ने मानक पूरा करने के लिए निरंतर प्रयास किया। जमीन खरीदने के लिए कार्य परिषद की बैठक में सात सदस्यीय टीम का गठन किया गया। समिति में कुलानुशासक प्रो. दीपक बाबू, कुलसचिव अमरेंद्र कुमार सिंह, अधिष्ठाता कला संकाय प्रो. हरीश शर्मा, कुलाधिपति के नामित कार्य परिषद सदस्य न्यायमूर्ति अनिरुद्ध सिंह व प्रो. संजीत गुप्ता, कुलपति जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय बलिया, वित्त अधिकारी अजय कुमार, एसडीएम नौगढ़ शामिल थे।

पूर्व विधायक ने की पहली रजिस्ट्री
कुलानुशासक प्रो. दीपक बाबू ने अन्य सदस्यों के साथ संबंधित किसानों के घर जाकर सर्किल रेट से चार गुने दर पर जमीन बेचने के लिए किसानों को सहमत किया। विश्वविद्यालय और प्रशासन ने उनकी खतौनी और कागजात में सुधार भी कराया। उन्होंने पूर्व विधायक चौधरी अमर सिंह ने बात की तो वे जमीन देने के लिए राजी हो गए और उन्होंने पहली रजिस्ट्री की। उन्होंने किसानों को भी समझाया कि विश्वविद्यालय की जितनी उन्नति होगी, उतना ही इस क्षेत्र का विकास होगा। विश्वविद्यालय ने 22 एकड़ जमीन चिन्हित की है, जिसमें 11 गाटा संख्या और 66 खातेदार हैं। फिलहाल छह गाटे की करीब आठ एकड़ जमीन खरीदी गई है, पूरी जमीन की खरीद हो जाएगी तो विश्वविद्यालय परिसर 68 एकड़ क्षेत्र में आकार ले सकेगा।
विदेशी कैंपस की राह होगी आसान, हो जाएंगे तीन गेट
0 सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु ने शोध व शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर कार्य करने के लिए नेपाल के लुंबिनी विश्वविद्यालय से अनुबंध किया है, जबकि अन्य विदेशी विश्वविद्यालयों से भी शिक्षा के क्षेत्र में साथ-साथ कार्य करने की बातें हो रही हैं।
अब पर्याप्त जमीन होगी तो विदेशी कैंपस बनाने का रास्ता साफ हो जाएगा।
0सिद्धार्थ विश्वविद्यालय प्रदेश का इकलौता विश्वविद्यालय है, जिसमें मात्र एक ही गेट है, यह गेट भी पर्यटन विभाग की जमीन में खुलता है। जमीन की खरीद के बाद विश्वविद्यालय एक भव्य प्रवेश द्वार बनाएगा, जबकि सुविधा के लिए एक अन्य गेट भी बनाने की योजना है।
0पहले 46 एकड़ जमीन के अनुसार योजनाएं बनी थी, लेकिन मुकम्मल जमीन के अनुसार योजनाएं बनाई जाएंगी। मिनी स्टेडियम के लिए पर्याप्त जमीन मिल गई है, जबकि छात्रावास की संख्या बढ़ाने में भी आसानी होगी। फिलहाल पुरुष महिला वर्ग में 640 छात्र-छात्राओं के लिए आवासीय सुविधा है।
0 विश्वविद्यालय में स्किल्ड प्रोग्राम चलाने में आसानी होगी। भारत नेपाल सीमा स्थित विश्वविद्यालय में नेटवर्क खराब था।विश्वविद्यालय ने परिसर में वाईफाई की सुविधा बढ़ाई, जबकि 100 कंप्यूटर का लैब भी बनाया गया है।

इन्होंने निभाई भूमिका
सिद्धार्थ विश्वविद्यालय परिसर में मानक से कम जमीन थी इसलिए विकास में बाधा आ रही थी और यूजीसी एवं रूसा से अनुदान नहीं प्राप्त हो था। अब विकास और शोध दोनों को बढ़ावा मिलेगा। अब विश्वविद्यालय के उन्नति की राहें आसान होंगी।
– प्रो. हरि बहादुर श्रीवास्तव, कुलपति
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सिद्धार्थ विश्वविद्यालय की उन्नति के लिए कुलपति ने ठोस निर्णय किया। जमीन खरीदने में सफलता मिली है, जबकि चिन्हित अन्य जमीनों की भी खरीद होगी। यदि जमीन किसी अन्य विकास कार्य के लिए खरीद ली जाती तो विश्वविद्यालय परिसर अधूरा ही रह जाता।
– प्रो. दीपक बाबू, कुलानुशासक
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सिद्धार्थ विश्वविद्यालय ने ऐतिहासिक सफलता हासिल की है। शुरुआती दौर में जमीन कुछ कम मिली थी, यह कमी हमेशा विकास में बाधक बनती थी। विश्वविद्यालय ने जमीन खरीद ली है। क्षेत्र के किसानों ने सहयोग किया है। उन्हें समझ में आया कि विश्वविद्यालय के विकास के साथ उनके क्षेत्र का विकास हो जाएगा।
अमरेंद्र कुमार सिंह, कुलसचिव
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सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु के विकास के लिए 22 एकड़ जमीन खरीदने का लक्ष्य है। इससे शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा काम हुआ है। सिद्धार्थनगर शिक्षा के हब के रूप में विकसित हो रहा है। विश्वविद्यालय ने मुकम्मल आकार लिया। मेडिकल कॉलेज बन गया है और नर्सिंग कॉलेज बनने की राह साफ हो गई।
डॉ. ललित कुमार मिश्रा, एसडीएम

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