सिद्धार्थनगर। जिले के मत्स्य पालकों पर महंगे आहार के साथ अब मौसम की मार भी पड़ रही है। मछलियों के महंगे आहार से परेशान पालकों के लिए पिछले एक पखवारे जारी भीषण तपन, परेशानी का सबब बन गई है। गर्मी के वजह से कम खपत के चलते मछलियों के दाम में प्रति किलो 25 रुपये तक गिरावट आ गई है और तापमान बढ़ने से मछलियां मर भी रहीं हैं। ऐसे में जिले के मत्स्य पालकों को काफी नुकसान हो रहा है और वे राहत के लिए बारिश का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।
जिले के बढ़नी ब्लॉक का ढेबरुआ क्षेत्र मत्स्य पालन का हब बन चुका है। मत्स्य उत्पादन में इस क्षेत्र का बड़ा योगदान है और यहां से पूरे जिले में मछलियों का कारोबार होने के साथ प्रदेश के अन्य हिस्सों में निर्यात किया जाता है। क्षेत्र के अकरहरा, खजुरिया शर्की, पथरदेईया, सेवरा, औदही कला, मदरहिया, अहिरौला, नजरगढ़वा आदि दर्जन भर से अधिक गांवों में हजारों एकड़ पोखरों में मत्स्य पालन किया जा रहा। स्थानीय लोगों ने मछली पालन के व्यवसाय को इस स्तर तक पहुंचा दिया कि मछली व्यवसाय में यहां की गिनती पूरे प्रदेश में की जाने लगी है। कारोबार को बढ़ावा देने के लिए प्रशासन ने समय समय पर व्यवसाय से जुड़े लोगों का उत्साहवर्धन करने के लिए कैंप भी लगाया और सरकारी योजनाओं का लाभ उन तक पहुंचाने की बात भी कही। बावजूद इसके मछलियों का मंहगा आहार कारोबारियों के लिए शुरू से ही एक बड़ी परेशानी का कारण बना रहा।
जिले में इतने बड़े पैमाने पर मत्स्य पालन होने के बाद भी यहां आहार के निर्माण के प्लांट की कमी अभी तक दूर नहीं हो पाई। जिसके चलते मत्स्य पालकों की लागत बढ़ जा रही है। इतना ही नहीं, आहार महंगा होने के साथ बाहर के सप्लायर इसे जरूरत के मुताबिक समय पर उपलब्ध भी नहीं करा पाते हैं। इन सारी परेशानियों के बीच कारोबारियों का उत्साह कभी कम नहीं हुआ और इस क्षेत्र में रहने वाले लोगों के जुनून ने, अपने इलाके को मछली उत्पादन का एक बड़ा हब बना दिया। पिछले कुछ दिनों से पड़ रही रिकार्ड तोड़ गर्मी व्यापारियों पर अब सितम बनकर टूट रही है। 40-45 डिग्री सेल्सियस के बीच में रह रहे तापमान ने मछली पालकों की चिंता बढ़ा दी है। प्रचंड गर्मी में तालाब में पल रही मछलियों की वृदि्ध ठीक से नहीं हो पा रही है और ऑक्सीजन की कमी के चलते वे मर भी रही हैं। वहीं गर्मी में लोगों के खान-पान में भी परिवर्तन हुआ है, वह नॉनवेज से परहेज कर रहे हैं और मछलियों की डिमांड में आम दिनों की अपेक्षा में गिरावट आई है।
13 एकड़ क्षेत्र में मछली पालन के लिए तालाब बनाया है। पिछले वर्ष अच्छा मुनाफा हुआ था लेकिन इस बार भाव में गिरावट से मुनाफा कम होगा। – सहाब अनवर, कारोबारी
भीषण गर्मी की तपन से मछलियों की वृद्धि नहीं हो रही है और वह तालाब में मर भी रही हैं। आहार के दाम में भी दिन ब दिन वृद्धि होती जा रही है। गर्मी के मौसम में भाव में गिरावट से आय में कमी होगी।
– मंसूर अहमद, कारोबारी
साढ़े तीन एकड़ में मछली का पालन किया है। भाव में एक सप्ताह के भीतर 25 रुपये प्रति किलो की गिरावट हुई है। पिछले वर्ष की तरह मुनाफे की आशा इस बार नहीं है।
– मयंक शुक्ल, कारोबारी
गर्मी के चलते तालाब में मछलियां मर रहीं हैं, बारिश होने पर ही राहत की उम्मीद है। डिमांड कम होने से भाव भी गिरा है।
– अनवर सादात, कारोबारी
तापमान बहुत अधिक है। इसका कारण पानी गर्म होगा तो मछलियां मर सकती हैं। ऐसे मौसम में पानी अधिक और साफ रहे तो मछलियां सुरक्षित रहेंगी। हमेशा पंपिंग सेट चलते रहना चाहिए। ऑक्सीजन कम होगा तो मछलियां मर जाएंगी।
– कुलदीप सक्सेना, निरीक्षक, मत्स्य विभाग