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Siddharthnagar News: दिमाग पर नहीं डाल रहे जोर, याददाश्त हो रही कमजोर

सिद्धार्थनगर। मोबाइल पर नंबर, पासवर्ड, पते, नोट्स सेव रखने और हर चीज को गूगल जैसे सर्च इंजन पर ढूंढने की प्रवृत्ति लोगों की याद रखने की क्षमता को कम कर रही है। बच्चों और नौजवानों में इसका असर ज्यादा देखने को मिल रहा है। मोबाइल फोन के आ जाने के बाद लोग किसी जानकारी के लिए बच्चों को किताबें देने के बजाय मोबाइल फोन दे देते हैं। इससे बच्चों का दिमाग कमजोर हो रह है। बच्चों ने अपनी जरूरत की चीजों को गूगल में ढूंढना शुरू कर दिया है। इससे उन्हें अधूरा ज्ञान ही मिल पा रहा है।

माधव प्रसाद त्रिपाठी मेडिकल कॉलेज के मानसिक रोग विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर में डॉ. मोहम्मद अफजल ने बताया कि मोबाइल स्क्रीन पर ज्यादा देखने से लोगों की याददाश्त कम हो रही है। परेशानी बढ़ने पर लोग इलाज कराने भी आ रहे हैं। पूछताछ में पता चलता है कि कुछ पति-पत्नी आसपास होते हुए आपस में बात करने के बजाय मोबाइल पर व्यस्त रहते हैं। मोबाइल पर निर्भरता बढ़ने से नुकसान हो रहा है।

सिद्धार्थ विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. मयंक कुशवाहा ने कहा कि पहले घर के पते, टेलीफोन के नंबर लोगों को जुबानी याद रहते थे। अब पांच-छह मोबाइल नंबर भी लोगों को मुश्किल से याद रहते हैं। स्वाध्याय स्मरण शक्ति बढ़ाता है। साथ ही बार-बार पढ़ने से दिमाग के मेमोरी कार्ड में चीजें सेव रहती थीं। ऐसा अब नहीं हो रहा है, इसलिए याददाश्त कमजोर हो रही है। इसके लिए बच्चा यदि रो रहा है तो उसे मोबाइल फोन के बजाय खिलौने दे। साथ ही उसे पढ़ने के लिए किताबें दें, रात को सोते समय उसे मोबाइल फोन से बिल्कुल दूर रखें।
बुद्ध विद्यापीठ महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. अभय कुमार श्रीवास्तव कहते हैं कि याददाश्त की कमी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। एक दशक में ऐसे मामलों में तेजी आई है। याददाश्त बनाए रखने के लिए दिमाग को कसरत चाहिए। मोबाइल इस कसरत को नहीं होने दे रहा है। सूचना तकनीक के व्यापक दायरे ने दिमाग के सोचने का दायरा सीमित किया है। लोगों को यह खुद से फैसला करना होगा कि दिमाग की तासीर को बनाए रखने के लिए उसकी कसरत भी होती रहे। लोगों को खुद के साथ-साथ बच्चों को भी मोबाइल फोन से दूर रखना चाहिए। उन्हें मोबाइल गेम से दूर रखना चाहिए, उन्हें खेलने के लिए बाहर बच्चों के साथ भेजना चाहिए।

बिना मोबाइल के करने दें होमवर्क

डुमरियागंज क्षेत्र की शिक्षिका जोहरा फातिमा का कहना है कि यहां जिन सवालों को बच्चे दिमाग पर जोर देकर ठीक करते हैं, वहीं दूसरे दिन स्कूल आने पर भूल जाते हैं। ऐसा उन बच्चों के साथ ज्यादा होता है जो घर में होमवर्क के समय मोबाइल का सहारा लेते हैं। अभिभावकों को घर में होमवर्क करने के दौरान यह नजर रखनी होगी कि बच्चा मोबाइल से किसी प्रश्न का हल नहीं करे।

– ऐसे रखें दिमाग को सेहतमंद

– हर रोज कम से कम एक घंटा अध्ययन करें।

– कम से कम आठ घंटे की नींद जरूर लें।

– सोने से पहले मोबाइल स्विच ऑफ कर दें।

– प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करें और योग करें।

– भूलने की स्थिति में शांत दिमाग से मंथन करें ।

– किसी भी जानकारी के लिए किताबों का सहारा लें।

– दिमाग को मिलने वाली हरेक जानकारी को बार-बार लिखते रहें।

– दिमागी कसरत की चीजों में ज्यादा से ज्यादा उलझे रहें।

– नशे से हमेशा दूरी बनाकर रहें।

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