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Siddharthnagar News: योग पूर्वजों की महान थाती, पूरा विश्व स्वीकार रहा इसकी महत्ता

सिद्धार्थनगर। योग ऋषि-मुनियों द्वारा प्रदत्त हमारी महान थाती है और यह विश्व मानवता को हमारे देश की अमृतोपम देन है। वर्तमान में विश्व इसकी महत्ता को स्वीकार कर रहा है। यह हमारे लिए गर्व का कारण भी है। तन और मन को स्वस्थ बनाए रखने में ही नहीं, हृदय और आत्मा का परिष्कार करने में भी योग-प्राणायाम की बड़ी भूमिका है। योग साधना से सिद्धि तक की यात्रा है।

ये बातें सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कुलसचिव डॉ. अमरेंद्र कुमार सिंह ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में चलाए जा रहे जन जागरण अभियान तथा योग कार्यशाला के अंतर्गत आयोजित योगाभ्यास कार्यक्रम में कहीं। वे सिद्धार्थ विश्वविद्यालय परिसर में कर्मचारियों हेतु आयोजित विशेष योगाभ्यास कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि योग-प्राणायाम से हमारे भीतर अंतर्निहित शक्तियां जागृत होती हैं और हम अधिक कर्म-कुशल हो पाते हैं। इसलिए आने वाले 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर हम समाज के लिए योग करें, राष्ट्र के लिए योग करें, विश्व के लिए योग करें। परंतु सबसे पहले अपने लिए योग करें और हमेशा-हमेशा के लिए इसे अपने जीवन का अनिवार्य भाग बनाएं। डॉ. शिवम शुक्ल ने कहा कि दिन भर कार्यालय में बैठकर काम करने वालों को सजग न रहने पर पाचन, स्पांडलाइटिस, मधुमेह जैसी समस्याएं हो जाना आम बात है, नियमित योग करने से इनसे बचा भी जा सकता है और इन्हें ठीक भी किया जा सकता है। साथ ही तनाव भी आज के जीवन का एक अपरिहार्य अंग सा हो गया है। प्राणायाम इससे बचाने में बहुत सहायक सिद्ध हो सकता है। छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो. हरीशकुमार शर्मा ने सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस तथा मधुमेह से बचाव संबंधी योगासनों, यथा- भुजंगासन, उत्तानपादासन, पवनमुक्तासन, मंडूकासन, उष्ट्रासन आदि का अभ्यास कराया, साथ ही कपालभाति, अनुलोम-विलोम, उज्जाई, ध्यान आदि प्राणायाम की क्रियाओं को करने की विधि तथा उनके लाभों को समझाया। कार्यक्रम में अतुल रावत, रामनिवास, सतीश जायसवाल, राजकमल यादव, अमित पाण्डेय, अनिल यादव, अजित सिंह, संतोष यादव, अंकित सिंह, रघुवीर प्रजापति, जीतेंद्र कनौजिया, शैलेष उपस्थित रहे।

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