सिद्धार्थनगर। बढ़नी ब्लॉक के सिसवा चौराहे से बोहली होते हुए नेपाल सीमा पर स्थित लोहटी तक जाने वाला मार्ग रेलवे की वादा खिलाफी से क्षेत्रीय लोगों के लिए निरर्थक हो गया है। लोगों का आरोप है कि रेलवे के अधिकारियों ने सिसवा रेलवे क्राॅसिंग को समाप्त करने के बाद लोगों के आक्रोश को कम करने के लिए परसा रेलवे क्रासिंग से रेलवे स्टेशन होते हुए लगभग डेढ़ किलोमीटर सड़क को बनवाने का आश्वासन भी दिया था। लेकिन रेलवे की ओर से बनवाई गई सड़क के बहुत जल्दी खराब होने के कारण परसा रेलवे क्राॅसिंग से सिसवा रेलवे क्राॅसिंग तक लगभग डेढ़ किलोमीटर सड़क पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है। आए दिन बाइक व साइकिल सवार गिरकर चोटिल हो रहे हैं। क्षेत्रीय लोगों ने सड़क की मरम्मत करवाने की मांग की है।
क्षेत्र के सिसवा चौराहे से आखेरहिया, बोहली, खरिकौरा, चंदई होते हुए नेपाल सीमा पर स्थित लोहाटी तक जाने वाले प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत बनी सड़क का अस्तित्व रेलवे की ओर से सिसवा चौराहे के पास स्थित रेलवे क्रॉसिंग को बंद करने के बाद समाप्त हो गया। इस सड़क से आखेरहिया, इमिलिया, सहिनवारे, चंदवा, लोहटी, खरिकौरा, बोहली, बसंतपुर, बेनीनगर, बनचौरा, बनचौरी समेत दर्जनों गांव के लोग के अलावा नेपाल के ग्रामीण इलाकों के लोग भी आवागमन करते थे। रेलवे की सिसवा रेलवे क्राॅसिंग बंद होने के बाद आक्रोशित क्षेत्रवासियों को शांत करने के लिए रेलवे के अधिकारियों ने परसा रेलवे क्राॅसिंग से परसा होते हुए इस्मा रेलवे क्राॅसिंग तक लगभग डेढ़ किलोमीटर तक सड़क का निर्माण करवाने का आश्वासन दिया था। रेलवे ने सड़क बनवाई, लेकिन बहुत दिनों तक सड़क चली नहीं। मौजूदा समय में डेढ़ किलोमीटर में 70 से अधिक गड्ढे हैं। रोजाना बाइक व साइकिल सवार गिरकर चोटिल हो रहे हैं। क्षेत्र वासियों ने सड़क के अविलंब मरम्मत की मांग की है।
काफी प्रयासों से बनी थी सड़क
बढ़नी ब्लॉक के सिसवा चौराहे से नेपाल की सीमा पर स्थित लोहटी तक जाने वाले मार्ग का निर्माण अबतक चार बार हो चुका है। 1982 से पहले यह सड़क मिट्टी की थी। 1982 में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नर्वदेश्वर शुक्ल ने बस्ती के तत्कालीन डीएम मुरली श्याम मनोहर को हेलीकॉप्टर से इस सड़क का निरीक्षण करवाया। जिसके बाद डीएम ने सिसवा चौराहे से बोहली तक खड़ंजा लगवा दिया। इसके बाद उनके अथक प्रयासों से बस्ती के तत्कालीन डीएम मेजर आरके दुबे के निर्देश पर पूर्वांचल विकास निधि से सिसवा से बोहली तक पिच रोड बनी। उसके बाद 2000 में बस्ती के कमिश्नर विनोद शंकर चौबे ने इस मार्ग को स्वतंत्रता सेनानी उदयराज शुक्ल के नाम से नामकरण किया और इसे पीडब्ल्यूडी के लिए हस्तांतरित कर दिया। जिसके बाद पीडब्ल्यूडी ने बोहली तक इसका निर्माण करवाया। उसी समय बोहली से लोहटी तक सड़क का निर्माण हुआ। उसके बाद सिसवा चौराहे से लोहटी तक प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत सड़क का निर्माण हुआ, लेकिन सड़क के निर्माण होने के एक साल भर के अंदर ही 2019 में रेलवे ने सिसवा के पास की रेलवे क्राॅसिंग बंद कर दी। क्राॅसिंग बंद होने के बाद क्षेत्रीय लोगों ने धरना प्रदर्शन किया। जिसमें कई लोगों के खिलाफ रेलवे ने मुकदमा दर्ज करवाया और तब रेलवे के अधिकारियों ने लोगों के आक्रोश को कम करने के लिए परसा रेलवे क्राॅसिंग परसा रेलवे स्टेशन होते हुए सड़क बनवाने का आश्वासन दिया।
बोले क्षेत्र के लोग
सिसवा-बोहली लोहटी मार्ग मेरे ही प्रयास से बना था। लेकिन रेलवे के तुगलकी फरमान व क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण इस मार्ग का अस्तित्व ही समाप्त हो गया। परसा रेलवे क्राॅसिंग से सिसवा रेलवे क्राॅसिंग तक का सफर अत्यंत कष्टदाई है।
– नर्वदेश्वर शुक्ल, दर्जा प्राप्त पूर्व राज्यमंत्री
अगर रेलवे सिसवा रेलवे क्राॅसिंग के नीचे अंडरपास ही बनवा दे तब भी क्षेत्रीय लोगों की इस सबसे बड़ी समस्या का समाधान हो जाएगा। कई बार जनप्रतिनिधियों से मांग की गई लेकिन कुछ नहीं हुआ।
– डॉ. शिवशंकर चौधरी, निवासी चंदई
रेलवे क्राॅसिंग बंद करने के कारण लोगों को सिसवा चौराहे पर आने के लिए ढ़ाई किलोमीटर अधिक दूरी वह भी जर्जर सड़क पर तय करने को मजबूर होना पड़ रहा है। अगर अंडरपास बन जाए तो लोगों को अपने गांव जाने के लिए यह सीधा रास्ता रहेगा।
– राहुल चौधरी, निवासी उतरौला
परसा रेलवे क्राॅसिंग से सिसवा रेलवे क्राॅसिंग तक का सड़क खराब होने के कारण लोगों को चंदई से चरिगवां, कोटिया, गनेशपुर होते हुए एनएच तक लगभग 15.20 किलोमीटर अधिक दूरी तय करनी पड़ रही है।
– मो. सलाम, निवासी सिसवा