Press "Enter" to skip to content

नौ माह मेडिकल कालेज में छात्रों के काम आया लावारिश मिला शव, ढूढ़ते रहे स्वजन

सिद्धार्थनगर । जिस केशवराम को परिवार के लोग सात माह से ढूंढ रहे थे, उनका शव माधव प्रसाद त्रिपाठी मेडिकल कालेज सिद्धार्थनगर में संरक्षित मिला। शव के माध्यम से छात्र एनाटोमी (शारीरिक रचना) का अध्ययन कर रहे थे। पहचान स्पष्ट होने पर कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद मेडिकल कालेज प्रशासन ने शव स्वजन को सौंप दिया, तब जाकर अंतिम संस्कार हो सका।

बढ़नी कस्बे में मिला था लावारिश शव
डुमरियागंज के मछिया मुस्तकहम निवासी 60 वर्षीय केशवराम का शव 16 जनवरी को बढ़नी कस्बे में मिला था। 72 घंटे बाद भी जब कोई शव लेने नहीं आया तो पुलिस ने पोस्टमार्टम के बाद मेडिकल कालेज को सौंप दिया। शारीरिक रचना के अध्ययन के लिए शव की आवश्यकता थी। ऐसे में उसे एनाटोमी विभाग को सौंपा गया। दूसरी ओर परिवार के लोग केशवराम को ढूंढने में परेशान रहे। इसी क्रम में केशव के पुत्र अजय 21 जुलाई को ढेबरुआ थाने पहुंचे। फोटो के आधार पर उन्होंने पिता केशवराम की पहचान की। उन्हें बताया गया कि शव सुरक्षित है, कानूनी औपचारिकताएं पूरी कर ले जा सकते हैं।




जलाया नहीं मिट्टी में किया दफन
केशवराम के पुत्र अजय ने बताया कि पिता ट्रक मैकेनिक थे। नशे की लत के चलते वह अक्सर नेपाल जाते थे। ऐसे में लापता पिता को ढूंढते हुए वह इसी उम्मीद में ढेबरुआ थाने पहुंचे थे कि हो सकता है, नेपाल आने-जाने के क्रम में वह कहीं गुम हुए हों। चिकित्सकों की सलाह पर उन्होंने पिता का शव जलाया नहीं, बल्कि दफना दिया।

पहचान के तीन माह बाद मिला शव
अजय ने बताया कि पिता केशवराम की पहचान 21 जुलाई को ही कर ली थी। उन्होंने शव को सौंपने के लिए कहा तो उत्तराधिकार प्रमाण पत्र बनवाने के लिए कहा गया। इसकी प्रक्रिया में दो माह लग गए। उत्तराधिकार प्रमाण पत्र बनने और अन्य कानूनी औपचारिकताओं के बाद 20 अक्टूबर को मेडिकल कालेज प्रशासन ने शव सौंप दिया। इस दौरान अजय के भाई व चाचा भी उपस्थित रहे।

शव के लिए एसपी को लिखा है पत्र
मेडिकल के 10 छात्रों को शारीरिक संरचना की पढ़ाई के लिए एक शव की आवश्यकता होती है। अनुपलब्धता को देखते हुए फिलहाल 25 छात्रों पर एक शव दिया जा रहा है। मेडिकल कालेज प्रशासन ने शव के लिए पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखा है। जिले में जब भी कोई लावारिस शव मिलता और 72 घंटे बाद भी शिनाख्त नहीं होती है तो संबंधित थाना पुलिस मेडिकल कालेज की आवश्यकता पूछकर शव सौंप देती है।

रसायन से सुरक्षित रखते हैं शव
एनाटोमी विभाग में फार्मेलिन के माध्यम से शव को सुरक्षित रखा जाता है। फार्मेलिन बनाने में फार्मेल्डीहाइड, कार्बोलिक एसिड व ग्लिसरीन का प्रयोग किया जाता है। इस रसायन को नस के माध्यम से शरीर के अंदर डाला जाता है, जिससे शव खराब नहीं होता और छात्र इससे शरीर की संरचना को समझते हैं।




नहीं सुलझी केशव की मौत की गुत्थी
केशवराम की मृत्यु कैसे हुई थी, इसकी गुत्थी आज तक नहीं सुलझ सकी है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बारे में ढेबरुआ थानाध्यक्ष हरिओम कुशवाहा किसी भी तरह की जानकारी से इन्कार कर रहे हैं। उनका कहना है कि मामला पुराना है, इसकी पड़ताल कराई जाएगी।

पुलिस के सहयोग से 19 जनवरी को लावारिस शव मिला था। कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद 20 अक्टूबर को उसे परिवार वालों को सौंप दिया गया। – डा. हशमतुल्लाह, सह आचार्य एनाटोमी विभाग, माधव प्रसाद त्रिपाठी मेडिकल कालेज।

More from SIDDHARTHNAGAR NEWSMore posts in SIDDHARTHNAGAR NEWS »