सिद्धार्थनगर। शिया मुसलमानों के तीसरे इमाम हजरत इमाम हुसैन के चचेरे भाई हजरत मुस्लिम की यौम ए शहादत शहादत दिवस पर बुधवार को हल्लौर कस्बे में अकीदतमंदों ने अलम व ताबूत का जुलूस निकाला। जुलूस पूरे कस्बे में भ्रमण करते हुए कर्बला पर पहुंचाकर देर शाम नौहा मातम के बीच समाप्त हो गया।
हजरत मुस्लिम की शहादत को लेकर मंगलवार की रात गांव में कई जगहों पर ताजिया रखकर अकीदतमंदों ने रतजगा कर नौहा मातम किया। हल्लौर कस्बे में बुधवार की शाम चार बजे तौकीर हसन मरहूम के घर पर मजलिस व मर्सिया आयोजित की गई। मर्सियाख्वानी शाहिद आलम व उनके सहयोगी ने की। जाकिर जमाल हैदर ने कहा कि इस्लाम के दुश्मनों ने फूफा शहर में हजरत मुस्लिम को अकेले घेरकर बहुत बेदर्दी से कत्ल कर दिया। जबकि उन्हें भारी संख्या में लोगों ने खत भेजकर दीनी तालीम लेने के लिए बुलाया था। जमाल ने कहा कि हजरत मुस्लिम हजरत इमाम हुसैन के चचेरे भाई थे और उनके सफीर शांतिदूतद्ध के रूप में फूफा गए थे। जहां पर उन्हें बंधक बना लिया गया और तड़पा तड़पा के शहीद कर दिया गया। हजरत मुस्लिम की शहादत का जिक्र सुनकर मजलिस में मौजूद अकीदतमंद हाय मुस्लिमए हाय हुसैन की सदा बुलंद कर कर रो पड़े। मजलिस के बाद अलम ताबूत ताजिया का जुलूस नौहा मातम के साथ निकाला गया जो देर शाम कर्बला पर पहुंच कर समाप्त हो गया।