‘टूलकिट’ मामले में गिरफ्तार बेंगलुरु की पर्यावरण एक्टिविस्ट दिशा रवि को पटियाला हाउस कोर्ट ने एक लाख रुपए का निजी मुचलका भरने के आधार पर जमानत दे दी है। दिशा की एक दिन की पुलिस रिमांड खत्म होने के बाद मंगलवार दोपहर को उसे पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया गया था। इस दौरान दिल्ली पुलिस ने कोर्ट से आगे पूछताछ के लिए दिशा की रिमांड बढ़ाने की अपील की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया।
दिशा रवि के वकील ने शनिवार को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट से कहा था कि यह दर्शाने के लिए कोई साक्ष्य नहीं है कि किसानों के प्रदर्शन से जुड़ा ‘टूलकिट’ 26 जनवरी को हुई हिंसा के लिए जिम्मेदार है। इसके बाद अदालत ने उसकी जमानत याचिका पर अपना आदेश मंगलवार के लिए सुरक्षित रख लिया था।
दिशा ने अपने वकील के जरिये अदालत से कहा था कि यदि किसानों के प्रदर्शन को वैश्विक स्तर पर उठाना राजद्रोह है, तो मैं जेल में ही ठीक हूं। दिल्ली पुलिस द्वारा दिशा की जमानत याचिका का विरोध किए जाने के बाद दिशा के वकील ने यह दलील दी।
Toolkit case: Session Courtroom of Patiala Home Courtroom permits the bail plea of Disha Ravi; Extra Session Choose Dharmender Rana grants bail to her on furnishing a bail bond of Rs 100,000 with two surety in like quantity.
— ANI (@ANI) February 23, 2021
अदालत में सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने दिशा रवि की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि यह महज एक ‘टूलकिट’ नहीं था, असली मंसूबा भारत को बदनाम करने और यहां अशांति पैदा करना था। दिशा ने वॉट्सऐप पर हुई चैट (बातचीत) मिटा दी थी, वह कानूनी कार्रवाई से अवगत थी। इससे यह जाहिर होता है कि ‘टूलकिट’ के पीछे नापाक मंसूबा था।
पुलिस ने कहा कि दिशा रवि भारत को बदनाम करने और किसानों के प्रदर्शन की आड़ में अशांति पैदा करने की वैश्विक साजिश के भारतीय चैप्टर का हिस्सा थी। दिल्ली पुलिस ने आज कोर्ट में कहा कि एक प्रतिबंधित संगठन सिख फॉर जस्टिस ने 11 जनवरी को इंडिया गेट और लाल किले पर खालिस्तानी झंडा फहराने वाले को इनाम देने की घोषणा की थी।
दिल्ली पुलिस ने कहा कि किसी तरह यह टूलकिट सोशल मीडिया पर लीक हो गया और सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध था, उसी को हटाने की योजना बनाई गई और प्रदर्शन किया गया।
दिल्ली पुलिस ने अदालत के सामने कहा कि ये संगठन कनाडा से संचालित था और चाहता था कि कोई व्यक्ति इंडिया गेट, लाल किले पर झंडा फहराए। वे किसानों के विरोध की आड़ में ऐसी गतिविधियों को अंजाम देना चाहते थे और यही कारण है कि पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन शामिल हैं।
खालिस्तान के संबंध में दिल्ली पुलिस का कहना है कि भारत विरोधी गतिविधियों के लिए वैंकूवर एक अहम स्थान है और किसान एकता कंपनी नामक एक संगठन वैंकूवर में एक अन्य संगठन के संपर्क में है।
कोर्ट ने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एस.वी. राजू से पूछा कि 26 जनवरी की हिंसा के साथ टूलकिट के संबंध में आपने क्या सबूत जुटाए हैं? दिल्ली पुलिस ने कहा कि जांच जारी है और हमें सबूतों की खोज करनी है।
दिशा रवि की तरफ से पेश हुए वकील सिद्धार्थ अग्रवाल ने कहा कि दिशा का खालिस्तान से कोई लेना-देना नहीं है और सिख फॉर जस्टिस या पीजेएफ से भी उनका कोई कनेक्शन नहीं है।