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- Trip Of Younger Youngsters, So Colleges Are Giving Coaching To Their Moms, How To Train At Dwelling With Potatoes And Onions
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रायपुर4 घंटे पहले
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बच्चों की मम्मियों को ट्रेनिंग देती शिक्षिका।
पहली-दूसरी के बच्चों की एक तरह से छुट्टी हो गई, क्योंकि न तो उनके स्कूल लगनेवाले हैं और न ही उन्हें परीक्षा देने बुलाया जाएगा। वो एक क्लास आगे जरूर चले जाएंगे, लेकिन पढ़ाई का जो नुकसान होना है, वह हो जाएगा।
यह नुकसान कम से कम हो, इसलिए राजधानी में धनेली के सरकारी स्कूल ने अनोखा तरीका निकाला है। स्कूल के टीचर इन बच्चों की मम्मियों को थोड़ी-थोड़ी देर के लिए स्कूल बुला रहे हैं। उन्हें ट्रेनिंग दी जा रही है कि घर में काम आने वाली चीजों जैसे आलू-प्याज, सब्जियां, घरेलू सामान और यहां तक कि रेत के ढेर के जरिए इन बच्चों को कैसे गणित और भाषा समझाई जाए।
यह अनोखी स्कीम स्कूल ने अंगना म शिक्षा के नाम से शुरू की है। मम्मियों को ट्रेंड करनेवाली एक टीचर तस्कीन खान ने बताया कि पहली-दूसरी से लेकर आंगनबाड़ी तक के 5 से 6 साल के बच्चों की माताओं को बुलाया जा रहा है। उन्हें बता रहे हैं कि घर में रखे सामान से कैसे बच्चों को आकार की जानकारी दी जाए। सब्जियों के जरिए रंग और नाम किस तरह याद करवाए जाएं। रेत में लिखना कैसे सिखाएं, माचिस की डिब्बी से गाड़ी बनाकर कैसे बताएं, यह ट्रेनिंग मम्मियों को दी जा रही है। बच्चों की माताओं अगर पढ़ी-लिखी नहीं हैं, तब भी इसे आसानी से सीखकर अपने बच्चों को पढ़ाने भी लगी हैं।
40 और टीचर ने सीखा तरीका
इस स्कूल में अब तक 27 माताओं ने ट्रेनिंग ले ली है। खास बात यह है कि रायपुर, बलौदाबाजार, महासमुंद और धमतरी की 40 शिक्षिकाएं भी यह सीखकर अपने स्कूलों में लौटी हैं। धनेली स्कूल की पूर्व छात्राएं भी इससे जुड़ गई हैं।